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________________ अनुक्रम 1-102 1. योग की सैद्धान्तिक विवेचना 1. मानव शरीर और योग 1-11 मानव-शरीर असीम शक्ति का स्रोत 1, मस्तिष्क की रचना और अद्भुत क्षमता 2, पशुओं में भी अतीन्द्रिय क्षमता 3, त्वचा की सामर्थ्य और महत्त्व 4, त्वचा की अद्भुत सामर्थ्य के उदाहरण 4, शरीर की अन्य अद्भुत विशेषताएँ : चक्रस्थान और मर्मस्थान 5, चक्रस्थान, ग्लैण्ड्स और जूडो क्यूसोस की तुलनात्मक तालिका 7, पांच कोष अथवा आवरण 7, ( 1 ) अन्नमय कोष 8, ( 2 ) प्राणमय कोष 8, (3) मनोमय कोष 8, ( 4 ) विज्ञानमय कोष 9, ( 5 ) आनन्दमय कोष 9, आध्यात्मिक साधना का लक्ष्य 9, योग की उपयोगिता 11, योग की आवश्यकता 11 । 2. योग की परिभाषा और परम्परा 12-21 योग शब्द की यात्रा 12, वैदिक साहित्य में योग शब्द 13, बौद्ध दर्शन में योग 15, जैनदर्शन में योग 16, जैन दर्शन का योग सम्बन्धी स्वतन्त्र चिन्तन 17। 3. योग का प्रारम्भ 22-29 योग के प्रारंभ कर्ता 23, पतंजलि का महत्व एवं कार्य 25, पातंजल योगदर्शन का दार्शनिक आधार 26, बौद्धदर्शन - का पातंजल योगदर्शन पर प्रभाव 26, पातंजल योगदर्शन · पर अन्य दर्शनों का प्रभाव 26, पातंजल योग पर जैन दर्शन का प्रभाव 27, जैन योग की विशेषताएँ 28 | 4. योग के विविध रूप और साधना पद्धति 30-55 गीतोक्तयोग 30, समाधियोग 31, शरणागतियोग 31, राजयोग 32, हठयोग 32, नाथयोग 33, भक्तियोग 34, ज्ञानयोग 36, कर्मयोग 36, लययोग 36, अस्पर्शयोग 37, सिद्धयोग 38, तन्त्रयोग 38, वाम कौल तंत्र योग ( वाममार्ग ) 38, तारकयोग 41, ऋजुयोग 41, जपयोग 41, जपयोग के प्रकार 42, मन्त्रयोग 44, मंत्रयोग के 16 अंग 45, ध्यानयोग 47, ध्यानयोग के प्रकार 47, भेद ध्यानयोग के उत्तरभेद 47, अभेद ध्यान 47, सुरतशब्दयोग 48, अरविन्द का पूर्णयोग 49, योग - मार्ग : पिपीलिकामार्ग और विहंगममार्ग 53❖
SR No.002471
Book TitleAdhyatma Yog Sadhna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni
PublisherPadma Prakashan
Publication Year2011
Total Pages512
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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