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________________ प्लेट (spectrum) पर बनाकर उस प्लेट को तीव्र गति से घुमा दिया जाए तो ये सभी रंग दब जायेंगे और सफेद रंग का धब्बा ही दिखाई देगा। ___णमो अरिहंताणं' पद में भी सात अक्षर हैं, वर्ण और बीज हैं, तत्त्व हैं, उनके अपने-अपने रंग हैं और उन रंगों का सम्मिलित प्रभाव भी है। और वह सम्मिलित प्रभाव श्वेत वर्ण रूप है। श्वेत वर्ण शांति, समता, शुभ्रता, सात्विकता आदि का प्रतीक है। अब लीजिए दूसरा पद-णमो सिद्धाणं। ‘णमो सिद्धाणं' पद में 11 वर्ण, 5 अक्षर, 5 स्वर, 6 व्यंजन, 3, नासिक्य व्यंजन और 2 नासिक्य' स्वर हैं। तत्त्वों की दृष्टि से 'णमो' और 'णं' आकाश तत्त्व, 'स' और 'द' जल तत्त्व, 'ध' पृथ्वी तत्व और 'इ' (मातृका वर्ण के रूप में) अग्नि तत्त्व हैं। यानी इस पद में पृथ्वी, अग्नि, जल और आकाश ये सभी तत्त्व मौजूद हैं। . अब जरा इस पद में 'द्धा' वर्ण का विश्लेषण करिए। 'ध वर्ण धारणा शक्ति को प्रबल करता है तो 'द्' व्युत्सर्ग (अहंकार-ममकार का व्युत्सर्ग-क्योंकि 'द्' दमन (इन्द्रिय दमन), दान आदि की ओर संकेत करता है, साथ ही जल नासिक्य या अनुनासिक वर्गों का मंत्रशास्त्र में अत्यधिक महत्व है। इन वर्गों के उच्चारण में नासिका तंत्र का विशेष रूप से प्रयोग होता है तथा इनके उपांशु उच्चारण के समय ध्वनि तरंगें सीधी ब्रह्मरंध्र तथा मस्तिष्क के ज्ञान-वाही और क्रियावाही तंतुओं से टकराती हैं, अतः अत्यधिक ऊर्जा उत्पन्न होती है। भाषा-शास्त्र की दृष्टि से 'ङ''''ण' 'न' 'म' ये अनुनासिक वर्ण हैं। इनमें 'ण' और अनुस्वार (') ये दोनों विशिष्ट शक्ति उत्पन्न करने वाले हैं। मंत्रशास्त्र की दृष्टि से ये बीजाक्षर हैं तथा वे मंत्र अधिक प्रभावशाली होते हैं जिनमें अनुनासिक वर्गों की प्रचुरता हो। ह्रीं, श्री, क्लीं, ओं आदि सभी बीजाक्षर अन्त में अनुनासिक हैं। नवकार महामंत्र की यह बहुत बड़ी विशेषता है कि इसके प्रत्येक पद का आरम्भ तथा अन्त अनुनासिक वर्गों से हुआ है। प्रत्येक पद में कम से कम चार नासिक्य वर्ण तो हैं ही, किसी-किसी में अधिक भी हैं। इन अनुनासिक वर्गों के कारण सामान्य मंत्रों की अपेक्षा शत-सहस्र गुनी ऊर्जा इसके जाप से साधक के मन-मस्तिष्क में उत्पन्न होती है। बीजाक्षर, तत्त्व और उनके रंग आदि के विस्तृत ज्ञान के लिए 'मंत्रराज रहस्य', 'णमोकार मंत्र ग्रंथ' आदि द्रष्टव्य हैं। * नवकार महामंत्र की साधना * 375*
SR No.002471
Book TitleAdhyatma Yog Sadhna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni
PublisherPadma Prakashan
Publication Year2011
Total Pages512
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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