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मानव के पास साधारण रूप से इतनी शक्ति, प्राणशक्ति के रूप में मौजूद है और यदि वह यौगिक क्रियाओं द्वारा इस शक्ति को बढ़ा लेता है तो वह चमत्कारपूर्ण कार्यों को करने में सक्षम हो जाता है।
. प्राणशक्ति की चमत्कारी क्षमता ___ यौगिक क्रियाओं द्वारा बढ़ी हुई प्राणशक्ति में चमत्कारी क्षमता उत्पन्न हो जाती है। प्राणशक्ति के लिए प्राणवायु एक ईंधन है और प्राणवायु मानव ग्रहण करता है श्वास द्वारा। श्वासोच्छ्वास के नियमन से योगी अपनी प्राणशक्ति को बढ़ा लेता है और उस प्राणशक्ति के बल पर ऐसी असामान्य घटनाएँ अथवा बातें प्रदर्शित कर सकता है जो जन-सामान्य को चमत्कार दिखाई देती हैं।
प्राणशक्ति द्वारा चमत्कारी प्रयोग के लिए मनःशक्ति का संयोग आवश्यक है। इसलिए इस सन्दर्भ में मनःशक्ति कैसे और क्या काम करती है, यह समझ लेना जरूरी है।
रेडियो में जो स्थिति क्रिस्टल (Crystal) अथवा एरियल (aerial) की है, आध्यात्मिक और प्राणशक्ति में वही स्थिति मन की है। ___ आधुनिक विज्ञान यह स्वीकार कर चुका है कि सम्पूर्ण लोक में ईथर (Ether) नामक तत्त्व व्याप्त है जो विभिन्न वस्तुओं, विचारों और तरंगों की गति में सहायक होता है। यह ईथर तत्त्व गति का माध्यम है। हम जो बोलते हैं, उन शब्दों में भी गति होती है, किन्तु हमारे शब्दों को रेडियो इसलिए नहीं पकड़ पाता कि हम शब्दों को-ध्वनि तरंगों को विद्युत तरंगों में परिवर्तित नहीं कर सकते। रेडियो का. सिद्धान्त यह है कि रेडियो स्टेशन में बोले जाने वाले शब्दों को पहले विद्युत तरंगों में बदला जाता है और उन विद्युत तरंगों को रेडियो का एरियल पकड़कर शब्दों में बदल देता है और हम रेडियो स्टेशन से प्रसारित किये जाने वाले कार्यक्रमों को अपने घर में बैठे रेडियो पर सुनते हैं। बस, यही सिद्धान्त विचार संप्रेषण (telepathy) आदि में काम करता है।
विचार संप्रेषण (Telepathy) विचार संप्रेषण का अर्थ है अपने मन के विचारों को दूरस्थ किसी व्यक्ति तक पहुँचाना। यह काम योगी अपनी प्राणशक्ति और मन:शक्ति से करता है।
* प्राण-शक्ति की अद्भुत क्षमता और शारीरिक एवं मानसिक स्वस्थता - 349 *