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________________ आधुनिक विज्ञान के अनुसार विचारों की गति 22,65, 120 मील प्रति सेकिण्ड है। यानी विद्युत तरंगों से भी विचार - तरंगों की गति लगभग सात गुनी है। विचार एक क्षण में ही पृथ्वी की लगभग 40 बार परिक्रमा लगा सकते हैं, अतः विचार शीघ्र ही दूरस्थ व्यक्ति तक पहुँच जाते हैं। योगी अपनी प्राणशक्ति तथा मस्तिष्कीय विद्युत शक्ति के सहयोग से अपने विचारों की तरंगों को विद्युत तरंगों में परिवर्तित कर सकता है, वे विद्युत तरंगें आकाश में चलती हुई उस विशिष्ट व्यक्ति तक पहुँचती हैं, उसका मनरूपी एरियल उन विद्युत तरंगों को पकड़ता है और पुनः विचारों में परिवर्तित कर देता है अर्थात् वह दूरस्थ व्यक्ति योगी के सन्देश को जान लेता है। साधारण भाषा में कहा जा सकता है कि जिस प्रकार बेतार के तार द्वारा संदेश प्रसारित किया जाता है, उसी प्रकार प्राणशक्ति द्वारा योगी भी अपना सन्देश अपने भक्तों तक पहुँचा देता है।, पुराणों में जो यह वर्णन आता है कि गुरु अपने शिष्यों को दूर बैठे ही आशीर्वाद दे देते थे और शिष्य उसे पाकर निहाल हो जाते थे, इसी प्रकार शिष्य द्वारा प्रणाम, वन्दना आदि को दूर बैठे गुरु स्वीकार कर लेते थे, वह सब इस प्राणशक्ति द्वारा विचार संप्रेषण का ही प्रयोग कहा जा सकता है। शक्तिपात (pass) आधुनिक युग में शक्तिपात शब्द काफी प्रचलित है। योगी और तथा-कथित भगवान अपने भक्तों को शक्तिपात द्वारा प्रभावित करते हैं। शक्तिपात करने वाला योगी भक्त की अपेक्षा बढ़ी हुई प्राणशक्ति से सम्पन्न तो होता ही है। एक स्वस्थ मनुष्य की हाथ की अंगुलियों के पोरुओं से साधारणतः 6 इंच बाहर तक प्राण शरीर का विद्युत प्रवाह विकीर्ण होता रहता है। इस विद्युत प्रवाह को योगी अपनी दृढ़ मनोशक्ति से घनीभूत कर लेता है। ऐसा एक साधारण व्यक्ति भी दृढ़ मनोबल से कर सकता है, इसमें योगी की कोई बहुत बड़ी विशेषता नहीं है। शक्तिपात देते समय योगी मन ही मन दृढ़तापूर्वक Auto suggestion देता है कि 'मेरी अंगुलियों से अत्यन्त तीव्र विद्युत शक्ति प्रवाहित हो रही है और मेरे सामने लेटे अथवा बैठे इस मनुष्य (the subject) के शरीर में प्रवेश कर रही है। ' कुछ तो योगी का प्रभाव, कुछ उसकी विद्युत शक्ति का सघन प्रवाह और सर्वाधिक भक्त की योगी के प्रति श्रद्धा एवं असीम आदर भाव - इन * 350 अध्यात्म योग साधना
SR No.002471
Book TitleAdhyatma Yog Sadhna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni
PublisherPadma Prakashan
Publication Year2011
Total Pages512
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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