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________________ तितिक्षायोगसाधना तितिक्षा का अभिप्राय तितिक्षा का अर्थ है-सहनशीलता, समभाव और शान्ति। इन्हें अंग्रेजी में व्यक्त करना चाहें तो Endurance, Tolerance और Peace कह सकते हैं। सहनशीलता और सहिष्णुता लगभग एक ही अर्थ को व्यक्त करते हैं, वह है समभाव। इसीलिए गाँधीजी ने अंग्रेजी के शब्द tolerance का हिन्दी पर्याय 'समभाव' किया। तितिक्षा शब्द का अभिप्रेत हुआ समभाव (tolerance) और शान्ति (peace)। तितिक्षायोग की साधना में साधक इन दोनों की साधना करता है। वह तन को और मन को भी साधता है, उन्हें सहनशील होने की ट्रेनिंग देता है, बर्दाश्त करने की क्षमता बढ़ाता है, कठिन से कठिन परिस्थिति में भी तन-मन को संतुलित बनाये रखने की आदत डालता है। साधक समभाव की भी साधना करता है और शान्ति की भी साधना करता है। समभाव का अर्थ है-अनुकूल और प्रतिकूल-दोनों ही परिस्थितियों में उद्वेलित न होना, राग-द्वेष रहित होकर तटस्थ रहना। ___ शान्ति का अभिप्राय है-मानसिक संकल्पों-विकल्पों, आवेगों-संवेगों में न उलझना, आत्मिक भावों में स्थिर रहना, तनावमुक्त रहना। समभाव की साधना, साधक परीषहों पर विजय प्राप्त करके करता है। वह परीषहों को समभाव से सहन करता है, वह न उस अवसर पर घबड़ाता है और न ही दीन बनता है; अपितु निर्भीक योद्धा के समान उनका मुकाबला करता है और उन पर विजय प्राप्त करता है, फिर भी उसके मन में राग-द्वेष का संचार नहीं होता। परीषहजय : समत्व की साधना जैन आगमों में बाईस प्रकार के परीषह बताये हैं जो इस प्रकार हैं-(1) क्षुधा परीषह (2) पिपासा परीषह (3) शीत परीषह (4) उष्ण * तितिक्षायोग साधना * 189*
SR No.002471
Book TitleAdhyatma Yog Sadhna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni
PublisherPadma Prakashan
Publication Year2011
Total Pages512
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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