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आराध्य अमर गुरुदेव द्वारा 29 वर्ष पूर्व रचित योग विद्या की श्रेष्ठ कृति "जैन योग सिद्धान्त और साधना" को 'अध्यात्म योग साधना' के नवीन नाम के साथ प्रस्तुत करने का मुझे सौभाग्य प्राप्त हुआ है। आराध्य गुरुदेव की साहित्य साधना में एक लघु से सहयोगी के रूप में जुड़कर मैं स्वयं को कृतकृत्य मानता हूँ। __इस पुस्तक के मूल लेखक पूज्य आचार्य श्री आत्माराम जी म. की 50वीं पुण्यतिथि एवं आराध्य अमर गुरुदेव की 75वीं (हीरक) जन्म जयंती के पावन प्रसंग पर-आराध्य द्वय के आराधकों को यह उपहार अर्पित करते हुए आंतरिक आह्लाद की अनुभूति कर रहा हूँ।
मेरी इस प्रस्तुति में मेरे अभिन्न हृदय श्री विनोद शर्मा का समर्पित सहयोग मुझे प्रत्येक कदम पर प्राप्त हुआ है। इनकी समर्पित श्रुत सेवा आज संघ में विश्रुत है। इनके मंगल भविष्य की मंगल कामनाएँ करता हूँ।
आशा है पूर्व संस्करण की भांति प्रस्तुत संस्करण भी योग के अध्येताओं को अन्तस्तोष देगा।
-वरुण मुनि 'अमर शिष्य'
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