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________________ वर्तमान युग का मानव शारीरिक स्वास्थ्य के लिए योग की ओर आकर्षित हो रहा है। बड़े-बड़े नगरों से लेकर गाँवों तक में योग कक्षाओं का प्रचलन प्रारम्भ हो गया है। इससे स्वास्थ्य के क्षेत्र में मानव ने काफी कुछ सफलताएँ प्राप्त की हैं। मेडिशन के विश्वासी बुद्धिजीवी, विद्वान और वैज्ञानिक भी मेडिटेशन के प्रभावी परिणामों से चमत्कृत हैं। भारतीय प्राचीन योग के लिए यह शुभ संकेत है। आज नहीं तो कल अवश्य ही विश्व मेधा इस दिशा में गम्भीरता से अन्वेषण करेगी और विलुप्त प्रायः योग की विधियाँ पुनर्जीवित होंगी। प्रस्तुत पुस्तक 'अध्यात्म योग साधना' योग का समग्र सैद्धांतिक स्वरूप प्रकट करने वाली पुस्तक है। मैंने जैन और जैनेतर सभी योग प्रक्रियाओं और साधना विधियों पर प्रकाश डालने का प्रयास किया है। मैं सोचता हूँ कि जैन साहित्य में योग के बारे में जितनी चर्चाएँ एवं चिन्तन हुआ है उसे मैंने संक्षेप में स्पर्श करने का प्रयास किया है। मैं कहाँ तक सफल हो पाया हूँ, इसका निर्णय सुधि पाठकों के निर्णय पर छोड़ता हूँ। योग के विषय में यह जो कुछ भी मैं लिख पाया हूँ - इसके मूल में मेरी आस्था के आयाम आचार्य सम्राट् श्री आत्माराम जी महाराज का आशीर्वाद ही है। उनकी कालजयी कृति ‘जैनागमों में अष्टांग योग' योग विद्या की एक सूत्रात्मक कृति है । उसी कृति के आधार पर मैंने प्रस्तुत पुस्तक का लेखन-सम्पादन किया है। इस हेतु उस महापुरुष का मैं चिररऋणी रहूंगा। मेरे बाबा गुरुदेव बहुश्रुत पण्डित रत्न श्री हेमचन्द्र जी महाराज एवं मेरे श्रद्धेय गुरुदेव प्रवर्त्तक भण्डारी श्री पद्मचन्द जी म. का अदृष्ट आशीष भी मैं सदैव अपने अंग-संग पाता हूँ। पहली बार इस कृति का प्रकाशन इन्हीं महापुरुषों की आशीर्वादात्मक उपस्थिति में हुआ था। आज ये महापुरुष सदेह हमारे मध्य मौजूद नहीं हैं, परन्तु इनका अदृष्ट आशीष सदैव मेरे साथ है। प्रस्तुत संस्करण में नवीनता तो विशेष नहीं है। हाँ, प्रथम संस्करण में जो अशुद्धियाँ रह गई थीं, उन्हें दूर कर दिया गया है। इस कार्य में मेरे सहयोगी रहे हैं मेरे अन्तेवासी मुनि वरुण जी । इनकी साहित्य रुचि, गुरु भक्ति और समर्पण वृत्ति एक गुरु के हृदय को मुदित करने वाली है। इनके स्वर्णिम भविष्य हेतु मेरे सहस्राशीष । साथ ही श्रीयुत विनोद शर्मा ने इस संस्करण के प्रकाशन एवं शुद्धिकरण में अपना मूल्यवान सहयोग देकर अपनी श्रुत निष्ठा का सुन्दर परिचय दिया है। जैन - जैनेतर पाठकों में यह पुस्तक योग की अभिरुचि को वर्धमान करेगी, ऐसी आशा है। - अमर मुनि आत्म स्मारक साहनेवाल, लुधियाना (पंजाब) ( उत्तर भारतीय प्रवर्त्तक) 13 ❖
SR No.002471
Book TitleAdhyatma Yog Sadhna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni
PublisherPadma Prakashan
Publication Year2011
Total Pages512
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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