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________________ लब्धियों की संख्या तिलोयपण्णत्ति' में 64, आवश्यक नियुक्ति में 28, षट्खण्डागम में 44, विद्यानुशासन में 48, मन्त्रराजरहस्य' में 50, प्रवचन-सारोद्धार में 28 और विशेषावश्यकभाष्य में 28 है। इनके वर्गीकरण में भी भिन्नता है। इनके अतिरिक्त हेमचन्द्र के योगशास्त्र' और शुभचन्द्र रचित ज्ञानार्णव में अनेक लब्धियों का वर्णन है और उनका विवेचन भी विस्तार से हुआ है। इन दोनों ग्रन्थों में लब्धियों का वर्णन चमत्कारिक शक्तियों के रूप में हुआ है; जैसे जन्म-मृत्यु का ज्ञान, शुभ-अशुभ शकुनों से भविष्य का ज्ञान अथवा होने वाली घटनाओं को जान लेना, काल ज्ञान, परकाय-प्रवेश आदि-आदि। प्रवचनसारोद्धार में निरूपित 28 लब्धियों का संक्षिप्त परिचय इस प्रकार . (1) आमोसहि-इस लब्धि के प्रभाव से योगी के शरीर-स्पर्श मात्र से रोगी व्यक्ति स्वस्थ हो जाता है। तपस्वियों और योगियों के चरण-स्पर्श की परम्परा के पीछे यह भी एक कारण हो सकता है। (2) विप्पोसहि-योगी के मल-मूत्र में औषधि की शक्ति आ जाना। · (3) खेलोसहि-योगी की श्लेष्मा में सुगन्धि तथा रोग निवारण क्षमता। 1. तिलोयपण्णत्ति, भाग 1/4/1067-91 2. आवश्यकनियुक्ति 69-70 3. षट्खण्डागम, खण्ड 4, 1/9 4. श्रमण, वर्ष 1965, अंक 1-2, पृष्ठ 73 प्रवचनसारोद्धार 270/1492-1508 । आमोसहि विप्पोसहि खेलोसहि जल्लोसहि चेव। सव्वोसहि संभिन्ने ओहि रिउ विउलमइ लद्धी।।1506।। चारण आसीविस केवलियगणहारिणो य पुव्वधरा। अरहंत चक्कवट्टी बलदेवा वासुदेवा य।।1507।। खीरमहुसप्पि आसव, कोट्ठय बुद्धि पयाणुसारी य। तह बीयबुद्धि तेयग आहारग सीयलेसा य ।।1508।। वेउव्वदेहलद्धी अक्खीण महाणसी पुलाया य। परिणाम तववसेण एमाई हुति लद्धीओ।।1509।। -विशेषावश्यकभाष्य 7. योगशास्त्र, प्रकाश 5 और 6 8. ज्ञानार्णव, प्रकरण 26 * योगजन्य लब्धियाँ - 97*
SR No.002471
Book TitleAdhyatma Yog Sadhna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni
PublisherPadma Prakashan
Publication Year2011
Total Pages512
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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