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* ४२ * छठा बोल : प्राण दस
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(३) आहार, यानी आहार की अतिरेकता या अभाव से या तृषा से, (४) वेदना, यानी शरीर के अंगों की तीव्र पीड़ा-वेदना से, (५) पराघात, यानी कुएँ, तालाब, नदी आदि में डूबना, ऊँचाई से गिरना,
सीढ़ियों से फिसलना आदि से, (६) स्पर्श, यानी विषैले कीड़े (सर्प, बिच्छू आदि) के दंश से या विष, नींद
की गोलियाँ, कीटनाशक गोलियाँ आदि के सेवन से, (७) श्वासोच्छ्वास रुकने से, यानी फाँसी लगा लेना, गला आदि दबा दिया
जाना आदि से। आधुनिक युग में जिसे दया मृत्यु (Mercy killing-मर्सी किलिंग) कहा जाता है वह एक प्रकार से अकाल मृत्यु ही है।
(आधार : स्थानांगसूत्र ७)
प्रश्नावली १. प्राण से क्या तात्पर्य है? इसके कितने भेद हैं? ये भेद किस अपेक्षा से हैं? २. प्राण और पर्याप्ति में क्या अन्तर है? स्पष्ट कीजिए। ३. कौन-कौन-से प्राण की कौन-कौन-सी पर्याप्ति कारण हैं? बताइये। ४. पर्याप्ति छह हैं और प्राण दस हैं, ऐसा क्यों? ५. संसारी जीवों में कम से कम और अधिक से अधिक कितने प्राण होते हैं? प्रत्येक
के नामों का उल्लेख कीजिए। ६. कौन-कौन-से जीवों में कौन-कौन-से प्राण होते हैं? संक्षेप में बताइये। ७. समस्त प्राणों में आयुष्य बल प्राण को अधिक महत्त्व क्यों दिया गया है? ८. आयु के कितने प्रकार हैं? अनपवर्तनीय आयु वाले जीवों के नाम बताइये। ९. अकाल मृत्यु को समझाइए।