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* ३२ + चौथा बोल : इन्द्रिय पाँच
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मन के दो भेद हैं-एक भाव मन और दूसरा द्रव्य मन। पौद्गलिक मन द्रव्य मन तथा चैतन्य मन भाव मन कहलाता है। द्रव्य मन मनोवर्गणा के पुद्गलों से विनिर्मित है जबकि भाव मन आत्मा की चिन्तन-मनन रूप शक्ति है। यदि किसी जीव में भाव मन विद्यमान है किन्तु उसमें द्रव्य मन का अभाव है तो इस अभाव के कारण उसका उपयोग नहीं हो सकता अर्थात् चिन्तन आदि मनोव्यापार नहीं हो सकते। जैसे भाव मन को यदि विद्युत् मान लिया जाये और द्रव्य मन को विद्युत् बल्ब आदि मान लें तो विद्युत् का संचार होने पर भी विद्युत् बल्ब आदि के अभाव में प्रकाश असम्भव है।
(आधार : प्रज्ञापना पद १५)
प्रश्नावली १. इन्द्रिय किसे कहते हैं? इनकी संख्याओं का उल्लेख कीजिए। २. स्पर्शनादि पाँचों इन्द्रियों के विषयों पर प्रकाश डालिए। ३. इन्द्रियों के कितने भेद हैं? इन भेदों के स्वरूप आदि का संक्षेप में वर्णन कीजिए। ४. लब्धि और उपयोग में क्या अन्तर है? ५. मन और स्पर्शनादि इन्द्रियों में मौलिक अन्तर बताइये। . ६. मन कौन-सी इन्द्रिय है? स्पष्ट कीजिये। ७. मन के स्वरूप का विवेचन कीजिए।