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* २६ * तीसरा बोल : काय छह
जरायुज जो अपने जन्म के समय माँस की झिल्ली से लिपटे रहते हैं, जैसेमनुष्य, भैंस, गाय आदि। चौथे, रसज जो दही आदि रसों में उत्पन्न होते हैं, जैसे-कृमि आदि। पाँचवें, स्वेदज जिनकी उत्पत्ति पसीने से होती है, जैसे-जूं, लीख आदि। छठे, सम्मूर्छिम जो नर-मादा के संयोग के बिना ही उत्पन्न होते हैं, जैसे-मक्खी, चींटी आदि। सातवें, उद्भिज जो पृथ्वी को फोड़कर निकलते हैं, जैसे-टिड्डी, पतंगे आदि। आठवें, औपपातिक जो गर्भ में रहे बिना स्थान-विशेष में पैदा होते हैं, जैसे-देव और नारक। त्रसकाय जीवों का विशेष वर्णन पहले व दूसरे बोल में किया जा चुका है।
_ (आधार : स्थानांग, स्थान ६)
प्रश्नावली १. काय से क्या तात्पर्य है? इसके कितने भेद हैं? २. कौन-से जीव स्थावर हैं? ये त्रसकाय जीवों से किस प्रकार से भिन्न हैं? ३. शस्त्र किसे कहते हैं? स्थावर जीवों में इसकी क्या भूमिका है? ४. स्थावर जीवों का स्वभाव क्या मानव जीवों पर पड़ता है? स्पष्ट कीजिए। . ५. पृथ्वीकाय जीवों की विशेषताएँ बताइये। ६. अप्काय और वायुकाय जीवों के भेद बताइये। .. ७. डॉ. जगदीशचन्द्र वसु ने वे कौन-से कारण बताये हैं जिनसे वनस्पतियाँ सजीव
ठहरती हैं? . ८. कितने प्रकारों से वनस्पतिकाय और त्रसकाय जीवों की उत्पत्ति होती है? संक्षेप
में वर्णन कीजिये।