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आगमज्ञान की आधारशिला : पच्चीस बोल * १४५ *
पुद्गल की अनेक विशेषताएँ हैं जिनका समर्थन वैज्ञानिकों ने भी किया है। ये कतिपय-प्रमुख विशेषताएँ इस प्रकार हैं
(१) गतिशीलता, (२) अप्रतिघातित्व, (३) परिणामी-नित्यत्व, (४) सघनता व सूक्ष्मता।
(आधार : उत्तराध्ययनसूत्र, अध्ययन २८)
प्रश्नावली १. द्रव्य किसे कहते हैं? इसके लक्षणों को सोदाहरण समझाइए। २. "लोक में जितने भी द्रव्य हैं उतने ही द्रव्य सदा अवस्थित हैं और स्वतंत्र
परिणमन करते हैं।" इस कथन के आशय को स्पष्ट कीजिए। ३. परिणामी नित्यत्ववाद और द्रव्याक्षरत्ववाद से आप क्या समझते हैं? । ४. षड्द्रव्यों के नामों का उल्लेख करते हुए अन्य द्रव्यों की भाँति काल द्रव्य को
अस्तिकाय क्यों नहीं माना गया है? विज्ञान का ईथर और गुरुत्वाकर्षण किन द्रव्यों से सम्बन्धित है? उन द्रव्यों के
स्वरूप पर प्रकाश डालिए। ६. लोकाकाश और अलोकाकाश से क्या तात्पर्य है? ७. आकाश अमूर्त है तो उसका आसमानी रंग क्यों दिखाई देता है? ८. आधुनिक विज्ञान जैनदर्शन के काल सम्बन्धी जिन तत्त्वों को स्वीकारता है उन्हें
संक्षेप में समझाइए। ९. पुद्गलों के गुण व पर्यायों का नामोल्लेख कीजिए।