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आगमज्ञान की आधारशिला : पच्चीस बोल * ११३ *
(५) लेश्याविशुद्धि, (६) इन्द्रिय विषय, (७) अवधिज्ञान विषय।
इसके अतिरिक्त ऊपर के देवों में नीचे के देवों की अपेक्षा चार बातें कम होती हैं, यानी ऊपर के देव क्रमशः इनसे हीन होते जाते हैं
(१) गति, (२) शरीर, (३) परिग्रह-मूर्छा भाव, (४) अभिमान, यानी विभूति का अहंकार।
(आधार : स्थानांगसूत्र, स्थान १)
प्रश्नावली १. दण्डक से क्या तात्पर्य है? जैनागम में कुल कितने दण्डक माने गए हैं? इन
दण्डकों के विभाजन को भी स्पष्ट कीजिए। २. नरक दण्डक का वर्णन कीजिए। ३. तिर्यंच कौन-कौन होते हैं? तिर्यंच में दण्डक कितने माने गए हैं? ४. देवों के दण्डकों के नाम गिनाएँ। ५. कल्पोपन और कल्पातीत देवों में क्या अन्तर है? ६. भवनपति देवों और व्यन्तर देवों के चिह्नों को बताइए। ७. ज्योतिष्क देवों के दण्डक के बारे में आप क्या जानते हैं?