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________________ आस्रव तत्त्व के भेदों का चार्ट इस प्रकार है आस्रव तत्त्व आगमज्ञान की आधारशिला : पच्चीस बोल : ९५ इन्द्रिय २. मृषावाद ३. अदत्तादान ४. मैथुन ५. परिग्रह अव्रत | १. प्राणातिपात १. श्रोत्रेन्द्रिय प्रवृत्ति २. चक्षुरिन्द्रिय प्रवृत्ति ३. घ्राणेन्द्रिय प्रवृत्ति ४. रसनेन्द्रिय प्रवृत्ति ५. स्पर्शनेन्द्रिय प्रवृत्ति आस्रव योग १. मिथ्यात्व आस्रव २. अविरति आस्रव ३. प्रमाद आस्रव ४. कषाय आस्रव ५. अशुभ योग आस्रव १. मनः प्रवृत्ति २. वचन प्रवृत्ति ३. काय प्रवृत्ति अयतना १. भाण्डोपकरणादि अयतना सेलेना और रखना २. सूचि, कुशाग्र मात्र, अयतना से लेना और रखना (६) संवर तत्त्व (Check of Influx of Karmic Element— चैक ऑफ इनफ्लक्स ऑफ कार्मिक एलीमेण्ट ) आस्रव तत्त्व का प्रतिपक्षी संवर तत्त्व है। एक-एक आस्रव का एक-एक संवर प्रतिपक्षी है । जैसे मिथ्यात्व आस्रव का प्रतिपक्षी सम्यक्त्व संवर है, अव्रत आस्रव का प्रतिपक्षी व्रत संवर है आदि-आदि । यदि आस्रव कर्मों के आने का द्वार है तो संवर कर्मों को रोकने का द्वार है। यानी संवर आस्रव का निरोध करता है। वास्तव में जिन कारणों से आस्रव को रोका जाता है, वे संवर कहलाते हैं। संवर का अर्थ है संयम । संयमपूर्वक जीवन ही संवर है। इससे आत्मा शुद्ध और निर्मल बनती है। अतः यह मोक्ष का कारण भी है और इसीलिए यह उपादेय भी है। संवर तत्त्व के भी बीस भेद बताए गये हैं । इन भेदों का आधार भी पाँच ही है जिनमें पहला आधार है व्रत, दूसरा आधार है इन्द्रियाँ, तीसरा आधार है संवर, चौथा आधार है योग और पाँचवाँ आधार है यतना । संवर तत्त्व के भेद निम्न चार्ट में इस प्रकार से अभिव्यक्त हैं। यथा
SR No.002470
Book TitleAgam Gyan Ki Adharshila Pacchis Bol
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVarunmuni
PublisherPadma Prakashan
Publication Year2011
Total Pages192
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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