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अनुक्रमणिका ।
- वासना संसारका कारण व वासना नाशका फल आत्मनिष्ठों में प्रमाद करनेसे महाहानि स्थूल देहमें आत्मबुद्धि होनेसे संसारी दुःख निवृत्तिद्वारा सबमें आत्मसिद्धि
मौन होनेकी आवश्यकता व फल
( ८ )
विषय.
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वैराग्य व बोधको आवश्यकता वैराग्यवालोंका सदा सुखका अनुभव होता है,
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वैराग्यका श्रेष्ठत्व कथन. आशा आदिका त्यागोपदेश देहात्मबुद्धि त्यागपूर्वक आत्मोपदेश.
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भेद निरास. द्वैतको मायाजन्मत्व अद्वैतको सत्यत्वआरोपित वस्तुओंको अधिष्ठानसे भिन्नत्व कथन हृदयमें पूर्ण ब्रह्मका विचारोपदेश
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यक्त देहका पुनः संधान नहीं करना
जीवन्मुक्तका फल कथन वैराग्यका फल बोधवैराग्यका परम अवधि जीवन्मुक्तका लक्षण जीवनमुक्तका प्रारब्ध कर्म विचार.....
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अद्वैतका उपदेश ... आदि स्वयं वेदनीय है ब्रह्मोपदेशका उपसंहार.... ब्रह्मज्ञान होजानेपर शिष्यको अपनी अवस्था वर्णन शिष्यकर्तृक गुरुको नमस्कार गुरुकर्तृक पुनः शिष्यको उपदेश .. कृतार्थ होकर शिष्यका गमन ग्रन्थोपसंहार...
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आवरण नामक तमामणिविषयावरण शक्तिका कार्य
तमोगुणका धर्म व इसका कार्य्य
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पृष्ठाङ्क.
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