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________________ तीर्थकर : एक अनुशीलन ® 64 जिज्ञासा - क्षत्रिय कुल के किन-किन वंशों में तीर्थंकर का जन्म हो सकता है? समाधान - तीर्थंकर परमात्मा अन्त्यकुल में, प्रांतकुल में, अधम कुल में भिक्षुक कुल में जन्म नहीं लेते। उत्तम कुल 12 बताए हैं। 1. उग्रकुल - ऋषभदेव जी ने जिसे आरक्षक के रूप में रखा। 2. भोगकुल - ऋषभदेव जी ने जिसे गुरुस्थान पर रखा। 3. राजन्यकुल - ऋषभदेव जी ने जिसे मित्रस्थान पर रखा। 4. क्षत्रियकुल - ऋषभदेव जी ने जिसे प्रजालोक के रूप में स्थापित किया। 5. इक्ष्वाकु कुल - ऋषभदेव जी का स्वयं का, संसार का प्रथम कुल। 6. हरिवंश कुल - हरिवर्ष क्षेत्र के युगलिक का पारिवारिक कुल . 7. एष्युकुल (गोपाल) 8. वैश्यकुल 9. गंडुककुल (उद्घोषणा करने वाले) 10. कोहागकुल (सुथार) 11. ग्रामरक्षक कुल 12. बोक्कशालीय (सालवी/तंतुवाय) कुल इनमें भी केवल प्रथम 6 कुलों में ही तीर्थंकर का जन्म हो सकता है। जिज्ञासा - तीर्थंकर महावीर का गर्भ परिवर्तित करके त्रिशला की कुक्षि में ही क्यों रखा गया था? समाधान - जैन दर्शन कर्मवादी है। यह देवानंदा व त्रिशला के कर्मों का ही खेल था। पर्व भव में देवानन्दा व त्रिशला देवरानी-जेठानी थे। लोभ के कारण देवानन्दा ने त्रिशला की रत्नों की डिब्बी चुराई थी और असत्य भाषण भी किया। इसी कर्मोदय के कारण इस भव में देवानन्दा का हक नियति के परिणाम से त्रिशला को चला गया एवं 'रत्न' (महावीर रूपी) त्रिशला के पास आ गया। जिज्ञासा - तीर्थंकरों को जब वैराग्य स्वीकारना ही होता है, तो वे विवाह क्यों करते हैं ? समाधान - विवाह भी कर्मों को भोगने के कारण तीर्थंकरों को करना पड़ता है। जिनके भोगावली कर्म शेष रहते हैं, वे विवाह करते हैं, अन्य नहीं। किन्तु वैवाहिक जीवन में भी वे निर्लेप भाव से रहते हैं, अनासक्त भाव से जीते हैं। उनका उनकी पत्नी से भी कोई विशेष राग नहीं होता।
SR No.002463
Book TitleTirthankar Ek Anushilan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurnapragnashreeji, Himanshu Jain
PublisherPurnapragnashreeji, Himanshu Jain
Publication Year2016
Total Pages266
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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