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________________ तीर्थंकर : एक अनुशीलन 8 63 लं २ व . 44. इसी प्रकार उन्होंने स्त्रियों की 64 कलाएँ भी ब्राह्मी एवं सुन्दरी को सिखाईं - 1. नृत्य 33. कामविक्रिया औचित्य 34. वैद्यक क्रिया चित्र 35. कुम्भभ्रम वादित्र 36. सारिश्रम 37. अंजनयोग 38. चूर्णयोग ज्ञान 39. हस्तलाघव विज्ञान 40. वचनपाटव दम्भ 41. भोज्यविधि जलस्तम्भ 42. वाणिज्यिविधि गीतमान 43. मुखमण्डन - 12. तालमान शालिखण्डन 13. मेघवृष्टि कथाकथन 14. फलाकृष्टि 46. पुष्पग्रन्थन 15. आरामरोपण 47. वक्रोक्ति 16. आकारगोपन 48. काव्य शक्ति धर्मविचार - 49. स्फारविधिवेष शकुनसार 50. सर्वभाषाविशेष 19. क्रियाकल्प 51. अभिधानज्ञान 20. संस्कृत जल्प भूषणपरिधान 21. प्रासाद नीति 53. भृत्योपचार 22. धर्मरीति 54. गृहाचार वर्णिकावृद्धि 55. व्याकरण 24. सुवर्णसिद्धि परनिराकरण 25. सुरभितैलकरण 57. रन्धन 26. लीलासंचरण केशबन्धन 27. हयगज परीक्षण 59. वीणानाद 28. पुरुष स्त्रीलक्षण 60. वितण्डावाद 29. हेमरत्न भेद 61. अङ्कविचार 30. अष्टादश लिपि-परिच्छेद 62. लोकव्यवहार 31. तत्कालबुद्धि 63. अन्त्याक्षरिका 32. वस्तुसिद्धि 64. प्रश्नपहेलिका 52. 23. 58.
SR No.002463
Book TitleTirthankar Ek Anushilan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurnapragnashreeji, Himanshu Jain
PublisherPurnapragnashreeji, Himanshu Jain
Publication Year2016
Total Pages266
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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