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15.
16.
17.
मलय देश
मत्स्य देश
वरुण देश
दशार्ण देश
चेदि देश
सिन्धु सौवीर देश
शूरसेन देश
भंग देश
18.
19.
20.
21.
22.
23.
पुरावर्त देश
24.
कुणाल देश
25.
लाट देश
25 केकयार्द्ध देश
तीर्थंकर : एक अनुशीलन 17
भद्दिलपुर
वैराटपुर (बहुलपुर )
अच्छा नगरी
मृत्तिकावती नगरी
शुक्तिकावती नगरी
वीतभय नगरी
1.
कच्छ (क्षेमा) '
4. कच्छावती (अरिष्टपुर ) 7. पुष्कलावर्त (औषधि)
मथुरा नगरी
पावापुरी (अपापा)
माषा नगरी
10. सुवत्स (कुंडला)
13. रम्य (अंकावती)
श्रावस्ती नगरी
कोटिवर्ष नगरी श्वेताम्बिका नगरी
70000
80000
24000
1892000
68000
68500
68000
36000
1425
63053
2103000
205800
शक, यवनादि 31,974 1⁄2 अनार्य देश हैं। ये सभी नाम प्राचीन हैं एवं वर्तमान में यत्रतत्र किसी परिवर्तित नाम से बसे हैं। इन सभी की भौगोलिक सीमाएँ शास्त्रों में विस्तृत रूप से प्राप्त होती हैं।
70000
288000
24000
यहाँ देश शब्द का अर्थ भारत, पाकिस्तान, अमेरिका इत्यादि भूखण्ड नहीं है। अपितु ग्रामों का विशाल प्रशासनिक समूह ऐसा समझना चाहिए। सौभाग्यवश, वर्तमान भारत में ये सभी आर्यदेश समा जाते हैं। कई विद्वद्जनों को शंका होती है कि तीर्थंकरों का जन्म भारत में ही क्यों हुआ, अमरीका, चीन में क्यों नहीं ? वे सभी अनार्य क्षेत्र हैं, इसका हल ऐसा जानना ।
18000
42000
680500
8000
36000
52450
63000
713000
129000
महाविदेह क्षेत्र के लिए आर्य-अनार्य जैसा नियम कदापि नहीं है, क्योंकि वे धर्म से परिपूर्ण हैं। वहाँ तीर्थंकरों का जन्म 32 विजयों में होता है। 32 विजयों के नाम एवं उनकी राजधानियाँ
क्रमश :
2. सुकच्छ (क्षेमपुरी)
5.
आवर्त (खड्गी ) 8. पुष्कलावती (पुंडरीकिणी) 11. महावत्स (अपराजिता ) 14. रम्यक् (पद्मावती)
3.
महाकच्छ (अरिष्टा) 6. मंगलावर्त (मंजूषा )
9.
वत्सा (सुसीमा ) 12. वत्सावती (प्रभंकरा ) 15. रमणिक (शुभा )
जो ऋजु होता है, वही शुद्ध हो सकता है और जो शुद्ध होता है, उसी में धर्म टिक सकता है।
उत्तराध्ययन (3/13)