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________________ तीर्थंकर : एक अनुशीलन 88 16 तीर्थंकरों का जन्म कहाँ ? तीर्थंकर परमात्माओं का जन्म कर्मभूमि में तो होता है, किन्तु क्या कर्मभूमि के किसी भी देश में उनका अवतरण होता है ? इसका समाधान देते हुए पूर्वाचार्य लिखते हैं कि कर्मभूमि के भी धार्मिक प्रवृत्ति वाले देश में ही उनका जन्म होता है। दस क्षेत्र : 5 ऐरावत व 5 भरत में प्रत्येक क्षेत्र में 32,000 देश होते हैं। इनमें से 31,974 देश अनार्य हैं एवं 25 देश आर्य हैं। आर्य देश अर्थात् धार्मिक प्रवृत्ति वाले देश। तीर्थंकरों की उत्पत्ति अत: केवल आर्य देशों तक सीमित है। कई तीर्थंकर दीक्षा पश्चात्, कर्मों को काटने के हेतु से अनार्य देशों तक जाते हैं किन्तु उनका जन्म, दीक्षा, केवलज्ञान, समवसरण, मोक्ष इत्यादि आर्य क्षेत्रों में ही होते हैं। जम्बूद्वीप के भरतक्षेत्र के साढ़े पच्चीस आर्य देशों के नाम इस प्रकार हैंदेश का नाम राजधानी ग्राम संख्या मत-1 मत-2 मगध देश राजगृही नगरी 6600000 16600000 अंग देश चम्पा नगरी 500000 550000 बंग देश ताम्रलिप्ति नगरी 500000 1800000 कलिंग देश कांचनपुर 100000 2000000 काशी देश वाराणसी नगरी 192000 19000 कोशल देश साकेतपुर (अयोध्या) 99000 99000 कुरु देश गजपुर 87325 99000 कुशावर्त देश शौरीपुर 14083 823425 पांचाल देश कांपिल्यपुर 383000 363000 जांगल देश अहिच्छत्रा नगरी 145000 145000 सौराष्ट्र देश द्वारावती नगरी 6805000 680526 विदेह देश मिथिला नगरी 8000 8000 वत्स देश कौशाम्बी नगरी 28000 28000 शाण्डिल्य देश । नन्दिपुर (आनंदपुर) 10000 21000 जो सम्यग्दर्शन से भ्रष्ट है, वास्तव में वही भ्रष्ट है, क्योंकि सम्यग्दर्शन से भ्रष्ट या पतित को निर्वाण प्राप्त नहीं हो सकता। चारित्रहीन तो कदाचित् सिध्द हो भी जाते हैं, परन्तु दर्शनहीन कभी भी सिद्ध नहीं होते। ___- भक्त-परिज्ञा (66)
SR No.002463
Book TitleTirthankar Ek Anushilan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurnapragnashreeji, Himanshu Jain
PublisherPurnapragnashreeji, Himanshu Jain
Publication Year2016
Total Pages266
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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