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________________ तीर्थंकर : एक अनुशीलन @ 190 दीक्षा वृक्ष (47) अशोक वृक्ष लं अशोक वृक्ष सहदीक्षित व्यक्ति | दीक्षा नगरी । दीक्षा वन (44) (45) (46) 1. | चार हजार (4000) | विनीता (अयोध्या) सिद्धार्थ वन 1000 अयोध्या सहस्राम्र वन 1000 श्रावस्ती 1000 अयोध्या | एक हजार (1000) अयोध्या कौशाम्बी बनारस चंद्रपुरी काकन्दी भद्दिलपुर सिंहपुरी 12. छह सौ (600) चंपापुरी विहारगेह वन 13. एक हजार (1000) कंपिलपुर सहस्राम्र वन अयोध्या सहस्राम्र वन रत्नपुरी वेप्रगा वन हस्तिनापुर सहस्राम्र वन हस्तिनापुर हस्तिनापुर 19.| तीन सौ (300) मिथिला 20. | एक हजार (1000)| राजगृही नीलगुहा वन 21. " सहस्राम्र वन द्वारवती (द्वारिका) 23.| तीन सौ (300) वाराणसी आश्रमपद वन 24.| अकेले क्षत्रियकुंड ज्ञातृखंड वन | अशोक वृक्ष मिथिला " अशोक वृक्ष विशेष : ऋषभदेव जी प्रथम राजा थे। सरल स्वभावी 4000 लोगों ने दीक्षा का उद्देश्य समझे बिना राजा की देखा-देखी दीक्षा ग्रहण की एवं उसे पाल न पाने से तापस बने अथवा अपने अलग-अलग मत चलाए किन्तु अनेक पुनः जैनधर्म में दीक्षित हुए।
SR No.002463
Book TitleTirthankar Ek Anushilan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurnapragnashreeji, Himanshu Jain
PublisherPurnapragnashreeji, Himanshu Jain
Publication Year2016
Total Pages266
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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