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दीक्षा वेला
(48)
अपराह्न (दोपहर)
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19. पूर्वाह्न (सुबह) अपराह्न (दोपहर)
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पूर्वाह्न (सुबह)
अपराह्न (दोपहर)
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पूर्वाह्न (सुबह)
अपराह्न
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21.
22. पूर्वाह्न (सुबह)
23. पूर्वाह्न (सुबह)
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अपराह्न (दोपहर )
तीर्थंकर : एक अनुशीलन 191
प्रथम पारणा स्थल
(49)
हस्तिनापुर
अयोध्या
श्रावस्ती
अयोध्या
विजयपुर
ब्रह्मस्थल
पाटलीखंड
पद्मखंड
श्वेतपुर
रिष्टपुर
सिद्धार्थपुर
महापुर
धान्यकंटक
वर्धमानपुर
सौमनसपुर
मंदिरपुर
चक्रपुर
राजपुर
मिथिला
राजगृही
वीरपुर
द्वारिका
कोपकट
कोल्लाग सन्निवेश
दीक्षा पश्चात् प्रथम पारणा द्रव्य (50)
400 दिन बाद इक्षुरस (गन्ने का रस ) 2 दिन बाद परमान्न (खीर) से
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विशेष : 400 बैलों के मुख पर छीकी बांधने का सुझाव देने के कारण लाभान्तराय कर्मोदय से श्री ऋषभदेव प्रभु को 400 दिन तक गोचरी नहीं मिली। लोग स्वर्ण, पुत्री आदि दोहराते किन्तु ज्ञान न होने से लोग गोचरी दोहराने में असमर्थ रहते।