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________________ 1. 23 & inno 2. 3. 4. 5. 6. पुत्र-पुत्री (37) 100 पुत्र 2 पुत्री 3 पुत्र 3 पुत्र 3 पुत्र 13 पुत्र 7. 17 पुत्र 8. 10/8 पुत्र 9. 19 पुत्र 10. 12 पुत्र 11. 99 पुत्र 12. 12 पुत्र 13. - 14.88 पुत्र 15. 19 पुत्र 16. 1 करोड़ 50 लाख पुत्र 18.1 करोड़ पचीस लाख 19. 2019 पुत्र 21. 22. 23. 24. विशेष : - 50 लाख पुत्र 17.1 करोड़ 23,750 वर्ष - कुमारावस्था (38) 20 लाख पूर्व 18 लाख पूर्व 15 लाख पूर्व 1221⁄2 लाख पूर्व 10 लाख पूर्व 1721 लाख पूर्व 5 लाख पूर्व 221⁄2 लाख पूर्व | 50 हजार पूर्व 25 हजार पूर्व 21 लाख वर्ष 18 लाख वर्ष 15 लाख वर्ष 172 लाख वर्ष 22 लाख वर्ष | 25,000 वर्ष तीर्थंकर : एक अनुशीलन 188 | 21,000 वर्ष | 100 वर्ष 7500 वर्ष 12500 वर्ष 300 वर्ष 30 वर्ष 30 वर्ष राज्यावस्था (39) 63 लाख पूर्व 53 लाख पूर्व 1 पूर्वांग 44 लाख पूर्व 4 पूर्वांग 382 लाख पूर्व 4 पूर्वांग 29 लाख पूर्व 12 पूर्वांग 211⁄2 लाख पूर्व 16 पूर्वांग 14 लाख पूर्व 20 पूर्वांग 621⁄2 लाख पूर्व 24 पूर्वांग 50 हजार पूर्व 28 पूर्वांग 50 हजार पूर्व 42 लाख वर्ष 30 लाख वर्ष 15 लाख वर्ष 5 लाख वर्ष 50,000 वर्ष 47500 वर्ष 42,000 वर्ष 15,000 वर्ष 5,000 वर्ष कुल गृहस्थावस्था (40) 83 लाख पूर्व 71 लाख पूर्व व 1 पूर्वांग 59 लाख पूर्व एवं 4 पूर्वांग 49 लाख पूर्व एवं 8 पूर्वांग 39 लाख पूर्व एवं 12 पूर्वांग 29 लाख पूर्व एवं 16 पूर्वांग 19 लाख पूर्व एवं 20 पूर्वांग 9 लाख पूर्व एवं 24 पूर्वांग 1 लाख पूर्व एवं 28 पूर्वांग 75 हजार पूर्व 63 लाख वर्ष 18 लाख वर्ष 45 लाख वर्ष 22 लाख 50 हजार वर्ष 7 लाख वर्ष 75,000 वर्ष 71,250 वर्ष 63,000 वर्ष 100 वर्ष 22,500 वर्ष . 7,500 वर्ष 300 वर्ष 30 वर्ष 30 वर्ष 1 पुत्री श्री ऋषभदेव जी इस काल के प्रथम राजा थे। मानवजाति के लिए आवश्यक, पुरुषों की बहत्तर (72) कलाओं एवं स्त्रियों की 64 (चौंसठ ) कलाओं, ब्राह्मी लिपि आदि का ज्ञान उन्होंने ही प्रदान किया । इनसका वर्णन कल्पसूत्र आदि में है।
SR No.002463
Book TitleTirthankar Ek Anushilan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurnapragnashreeji, Himanshu Jain
PublisherPurnapragnashreeji, Himanshu Jain
Publication Year2016
Total Pages266
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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