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तीर्थकर : एक अनुशीलन ® 186
वर्ण/आभा (30) | गण (31) | पदवी (32) कांचन वर्ण (सुवर्ण) | मानव कुलकर, राजा
मानव(देव) राजा देव
राजा
देव
राजा
राक्षस
राजा
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राक्षस
राजा
राजा
| रक्त वर्ण (लाल) | सुवर्ण | श्वेत वर्ण (सफेद) श्वेत वर्ण (सफेद)
राजा
सुवर्ण
लांछण/चिह्न (29) वृषभ (बैल) | हस्ति (हाथी) | अश्व (घोड़ा) | वानर (बंदर) क्रौंच (सारस) पक्षी पद्म (लाल) कमल | स्वस्तिक (साथिया) 8. | चन्द्रमा (शशि)
| मकर (मगरमच्छ)
| श्रीवत्स 11.| खड्गी (गैंडा) 12. महिष (पाडा) 13.| वराह (सूअर) 14. सेन-सिंचाणा (बाज) 15. वज्र 16. मृग (हिरण) 17.| छाग (बकरा) 18. नंद्यावर्त 19. कलश (कुंभ)
| काचबो (कछुआ) 21.| | नीलकमल
शंख फणीश्वर-नागेन्द्र सर्प
राक्षस देव राक्षस मानव राक्षस(देव) राक्षस मानव देव
रक्त वर्ण (लाल) | सुवर्ण
चेत
मानव
राजा राजा राजा कुमार (राज्य नहीं किया) राजा राजा राजा चक्रवर्ती राजा, कामदेव चक्रवर्ती राजा, कामदेव चक्रवर्ती राजा, कामदेव कुमार (राज्य नहीं किया) राजा राजा कुमार (राज्य नहीं किया) कुमार (राज्य नहीं किया) कुमार (राज्य नहीं किया)
राक्षस
नीलवर्ण (नीला) कृष्ण वर्ण (काला)
20.
सुवर्ण
देव
कृष्ण वर्ण (काला) नीलवर्ण (नीला)
राक्षस राक्षस मानव
24. सिंह
सुवर्ण
विशेष : श्री ऋषभदेव जी से पूर्व कुलकर व्यवस्था थी। तब हाक्कार, माक्कार, धिक्कार की दंडनीति ___ थी एवं कल्पवृक्षों से सभी युगलिकों की इच्छाएँ पूर्ण हो जाती थीं। काल के प्रभाव से
यह व्यवस्था क्षीण होने पर ऋषभदेव जी ने राज्य व्यवस्था को दिशा दी।