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________________ तीर्थंकर : एक अनुशीलन , 185 वंश पिता का नाम पिता की गति गोत्र (25) (26) (27) (28) | नाभि कुलकर | नागकुमार देव काश्यप गोत्र इक्ष्वाकु वंश जितशत्रु राजा | ईशान देवलोक | जितारी राजा | संवर राजा | मेघ राजा | श्रीधर राजा प्रतिष्ठ राजा महासेन राजा ईशान देवलोक | सुग्रीव राजा सनत्कुमार देवलोक दृढ़रथ राजा 11. विष्णु राजा 12.| वसुपूज्य राजा |कृतवर्मा राजा 14. सिंहसेन राजा 15. भानु राजा 16. विश्वसेन राजा | सनत्कुमार देवलोक 17. शूर राजा | माहेन्द्र देवलोक 18. सुदर्शन राजा 19.1 कुंभ राजा 20. सुमित्र राजा गौतम गोत्र हरिवंश 21. विजय राजा काश्यप गोत्र इक्ष्वाकु वंश 22.| समुद्रविजय राजा गौतम गोत्र हरिवंश 23. अश्वसेन राजा | माहेन्द्र देवलोक काश्यप गोत्र इक्ष्वाकु वंश 24. ऋषभदत्त ब्राह्मण | मोक्ष सिद्धार्थ राजा अच्युत देवलोक (मतान्तर-माहेन्द्र) विशेष : ऋषभदेव प्रभु ने बाल्यावस्था में जब 1 वर्ष के थे, इंद्र के हाथों से गन्ने को पकड़ा था इसलिए सौधर्मेन्द्र ने उनके वंश का नाम इक्ष्वाकु (इक्षु+आकु) रखा था। यह प्रथम मानव वंश था। वश
SR No.002463
Book TitleTirthankar Ek Anushilan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurnapragnashreeji, Himanshu Jain
PublisherPurnapragnashreeji, Himanshu Jain
Publication Year2016
Total Pages266
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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