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________________ तीर्थंकर : एक अनुशीलन 0 180 14 महावीर स्वामी जी के स्थूल 27 भव क्र.सं. नाम / गति विशेष नयसार महाविदेह क्षेत्र में, समकित प्राप्ति सौधर्म देवलोक 1 पल्योपम का आयुष्य मरीचि ऋषभदेव जी के प्रपौत्र, कुलमद व नीच गोत्र कर्म बधन ब्रह्मदेवलोक 10 सागरोपम का आयुष्य कौशिक कोलाक ग्राम में त्रिदंडी, 80 लाख पूर्व की आयु पुष्पमित्र स्थूणा नगर में त्रिदंडी, 72 लाख पूर्व की आयु सौधर्म देवलोक मध्य स्थिति वाले देव अग्निद्योत चैत्यग्राम में त्रिदंडी 60 लाख पूर्व की आयु ईशान देवलोक मध्य स्थिति वाले देव अग्निभूति मंदर गांव में त्रिदंडी, 56 लाख पूर्व की आयु सनत्कुमार देवलोक | मध्य स्थिति वाले देव भारद्वाज श्वेतांबी नगरी में त्रिदंडी, 44 लाख पूर्व की आयु माहेन्द्र देवलोक मध्य स्थिति वाले देव स्थावर राजगृही नगरी में त्रिदंडी, 34 लाख पूर्व की आयु ब्रह्मदेवलोक मध्य स्थिति वाले देव 16. विश्वभूति राज राजगृही में संभूति मुनि से दीक्षा लेकर नियाणा (निदान) महाशुक्र देवलोक उत्कृष्ट स्थिति वाले देव 18. त्रिपृष्ठ वासुदेव कानों में शीशा डलवाया, पोतनपुर, 84 लाख पूर्वायुष्य तमस्तमप्रभा 33 सागरोपम की नरकायु केसरी सिंह पंकप्रभा नरक यहाँ से निकलने के बाद अनेक तिर्यंच-मनुष्य के छोटे भव विमल राजकुमार माँ विमला, पिता प्रियमित्र, युवावस्था में दीक्षा प्रियमित्र चक्रवर्ती मूकानगरी में पोटिलाचार्य के पास संयम, 84 लाख वर्षायु महाशुक्र देवलोक 17 सागरोपम का आयुष्य नंदन राजकुमार 11,60,000 मासक्षमण से तीर्थंकर नामकर्म बंध, 25 लाख वर्षायु प्राणत देवलोक 20 सागरोपम का आयुष्य 27. || वर्धमान (महावीर) चरमतीर्थपति 14. 15. 17. सिंह
SR No.002463
Book TitleTirthankar Ek Anushilan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurnapragnashreeji, Himanshu Jain
PublisherPurnapragnashreeji, Himanshu Jain
Publication Year2016
Total Pages266
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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