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________________ sim tvorio ao क्र.सं. विजय (7) पुष्कलावती विजय वत्सा विजय रमणीय विजय मंगलावती विजय पुष्कलावती विजय वत्सा विजय रमणीय विजय मंगलावती विजय पुष्कलावती विजय वत्सा विजय रमणीय विजय मंगलावती विजय तीर्थंकर : एक अनुशीलन 8 177 पूर्वभव सम्बन्धी परिचय नगरी (8) पुण्डरीकिणी सुसीमा शुभापुरा रत्नसंचया पुण्डरीकिणी सुसीमा शुभापुरा रत्नसंचया पुण्डरीकिणी सुसीमा शुभापुरा रत्नसंचया महापुरी रिष्टा भदिलपुरी पुंडरीकिणी खड्डीपुरी सुसीमा वीतशोका चम्पा कौशाम्बी राजगृह अयोध्या अहिच्छत्रा गुरु नाम (9) वज्रसेन अरिदमन संभ्रान्त विमलवाहन सीमन्धर (विनयनंदन) पिहितास्रव अरिदमन युगधर सर्वजगानन्द सस्ताध वज्रदन्त वज्रनाभ सर्वगुप्त चित्ररथ विमलवाहन धनरथ संवर साधुसंवर वरधर्म सुनन्द 16. पुष्कलावती विजय आवर्त्त विजय वत्सा विजय सलिलावती विजय नंद अतियश दामोदर (जगन्नाथ) पोट्टिलाचार्य विशेषः श्री शान्तिनाथ जी ने मेघरथ राजा के भव में पक्षी की रक्षा के लिए स्वयं का बलिदान देने का निश्चय कर अहिंसा व जीवदया का अनुमोदनीय कार्य किया था।
SR No.002463
Book TitleTirthankar Ek Anushilan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurnapragnashreeji, Himanshu Jain
PublisherPurnapragnashreeji, Himanshu Jain
Publication Year2016
Total Pages266
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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