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विषय-सूची
प्रध्याय: १. पूर्वाभास और गुरु-परम्परा
पृष्ठ १-३६ पूर्वाभास १, तत्कालीन राजनैतिक अवस्था २- १०, सामाजिक अवस्था १० - १४. धार्मिक अवस्था १४ - १५, चैत्यबास १६-१८, गुरु-परम्परा - आचार्य वर्धमानसूरि १८ - १६, आचार्य जिनेश्वर और पाटण शास्त्रार्थ - बिजय २०-२५ खरतर - विरुद प्राप्ति २५ - २८, आचार्य जिनेश्वर की साहित्य सर्जना और शिष्य परिवार २६-३०, आचार्य अभयदेवसूरि ३० - ३५, आचार्य जिनवल्लभसूरि ३५-३६
अध्याय : २. कवि का जीवन-वृत्त श्रौर देन
३७-६१
आचार्य जिनवल्लभसूरि का जीवन-वृत्त ३७-३६, बाल्यकाल और दीक्षा ३६, विद्याभ्यास ३९ - ४०, अभयदेवसूरि से विद्याध्ययन ४०-४२, चैत्यवास त्याग और उपसम्पदा ग्रहण ४२-४४, चित्रकूट गमन ४४-४५, गणिजी के चमत्कार ४५-४६ षट् कल्याणक प्ररूपणा और विधि चैत्यों की स्थापना ४६ - ४६, षड्यंत्र का भण्डाफोड़ ४६ - ५०, प्रतिबोध और प्रतिष्ठायें ५० - ५१, प्रवचन शक्ति ५१, समस्या-पूर्ति ५१ - ५३, आचार्यपद और स्वर्गवास ५३-५४, शिष्य परम्परा ५५-५८, विधिपक्ष ५८- ६१,
अध्याय : ३. विरोधियों के असफल प्रयत्न
६२--८४
उपसम्पदा ६२-६५, षट् कल्याणक ६५-७६, संघ - बहिष्कृत ७६ - ७८, उत्सूत्र- प्ररूपक ७- ८१, पिण्डविशुद्धिकार ६१-६४
अध्याय : ४. ग्रन्थों का परिचय तथा वैशिष्ट्य
८२-१२४
ग्रन्थरचना ८५-८७, सूक्ष्मार्थ- विचार - सारोद्धार प्रकरण ८७-८८, आगमिक वस्तुविचारसार प्रकरण ८८ - ८६, पिण्डविशुद्धि प्रकरण ८६ - ६१, सर्वजीवशरीरावगाहना स्तव १-२ श्रावकव्रत कुलक ६२-६३, पौषधविधि प्रकरण ९३-९४, प्रतिक्रमण समाचारी ε४-९५, द्वादशकुलक ε५- ६८, धर्मशिक्षा प्रकरण ६८, सङ्घपट्टक ६८-६६, स्वप्न - सप्तति
- १०२, अष्टसप्तति : चित्रकूटीय वीरचैत्य प्रशस्ति १०२ - १०४ शृङ्गारशतम् १०५, चरित्र- षट्क १०५ - ११२, चतुर्विंशति - जिन स्तोत्राणि ११२ - ११४, चतुविंशति- जिन-स्तुतयः ११४ - ११५, सर्व जिन पञ्च कल्याणक स्तोत्र ११५-११६. सर्व जिन पञ्च कल्याणक स्तोत्र ११६, प्रथम जिन स्तत्र ११६, लघु अजित - शान्ति-स्तव ११६, क्षुद्रोपद्रवहर पार्श्वनाथ स्तोत्र, स्तंभन पार्श्वनाथ स्तोत एवं महावीर विज्ञप्तिका ११६ - १२०, महाभक्तिगर्भा सर्वज्ञ - विज्ञप्तिका १२०, नंदीश्वर चैत्य स्तव १२०-१२१, भावारिवारण स्तोत्र १२१, पंच कल्याणक स्तोत्र १२२, कल्याणक स्तोत्र १२२, अष्ट स्तोत्र १२२ - १२३, भारती स्तोत्र १२३, नवकार स्तोत्र १२३ - १२४