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________________ आप तत्समय के प्रसिद्ध और समर्थ टीकाकार तथा प्रकरणकार हैं। आपके प्रणीत टीका-ग्रन्थों की तालिका इस प्रकार है: १. देवेन्द्र - नरकेन्द्र- प्रकरण वृत्ति २. सूक्ष्मार्थविचारसार प्र० चूर्णी ३. अनेकान्तजयपताकावृत्त्युपरि टिप्पन ४. उपदेशपद टीका ५. ललितविस्तरा पञ्जिका ६. धर्मबिन्दु वृत्ति ७. कर्मप्रकृति टिप्पन प्रकरणों की तालिका निम्न प्रकार है: १. अंगुल सप्तति २. आवश्यक सप्तति ३. वनस्पति सप्तति ४. गाथाकोष ५. अनुशासनाङ कुशकुलक ६. उपदेशामृत कुलक ७. ८. उपदेश पञ्चाशिकह ९. धर्मोपदेश कुलक १०. " - כל १४२] स. १९६६ पाटण चक्रेश्वराचार्य संशो. सं० ११७० आमलपुर शि. रामचंद्र सहायता से सं० ११७१ सु. ११७४ (नागौर में प्रारम्भ और पाटण में समाप्त ) ११. प्राभातिक स्तुति १२. मोक्षोपदेश पञ्चाशिका १३. रत्नत्रय कुलक १४. शोकहरोपदेश कुलक १५. सम्यक्त्वोत्पादविधि १६. सामान्यगुणोपदेश कुलक १७. हितोपदेश कुलक १५. कालशतक १६. मंडलविचार कुलक २०. द्वादशवर्ग आपने नैषधकाव्य पर भी १२००० श्लोक प्रमाणोपेत टीका की रचना की थी किन्तु दुर्भाग्यवश आज वह प्राप्त नहीं है । मुनिन्द्र ने इस सार्द्ध शतक प्रकरण पर सं० ११७० ज्येष्ठ शुक्ला द्वितीया गुरुवार के दिवस, आमलपुर में निवास करते हुए अपने शिष्य रामचन्द्रगणि (आचार्य बनने के बाद वादि देवसूरि के नाम से प्रसिद्ध) की सहायता से प्राकृत भाषा में २४७३ श्लोक प्रमाणवाली चूर्णी की रचना पूर्ण की: इच्चेसा जिरणवल्लहस्त गरिगो वक्काउ निष्फाइया, वृन्नी चुन्न य सुट्ठनिट्ठरपथा भव्वासासंबोहिणी । लखेवा मुविंदसा हुहुगा पत्थमि पन्ना क्र. अम्भस्तंतु विसोहयंतु य इमं वित्थारमारणंतु यं ॥ १॥ 1. वल्लभ-भारती
SR No.002461
Book TitleVallabh Bharti Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinaysagar
PublisherKhartargacchiya Shree Jinrangsuriji Upashray
Publication Year1975
Total Pages244
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size25 MB
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