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स्तोत्र - साहित्य में कवि ने संभवतः अपने सभी चमत्कार दिखा देने का प्रयत्न किया है । भाषा चमत्कार की दृष्टि से कवि ने न केवल संस्कृत और प्राकृत में पृथक्-पृथक् स्तोत्र लिखे अपितु एक स्तोत्र अपभ्रंश में भी लिखा है और एक में संस्कृत और प्राकृत दोनों का ही एक साथ प्रयोग किया है। अपभ्रंश का स्तोत्र जहां अन्य गुणों के लिये महत्त्वपूर्ण है वहां भाषाप्रवाह भी दर्शनीय है । इसकी भाषा का महत्त्व हिन्दी भाषा के प्राचीन इतिहास की दृष्टि से आंका जा सकता है। नवकार मंत्र की शक्ति का व्याख्यान करते हुए कवि कहते हैं:
"चोर धाडि संकट टलइ राजा वसि होई तित्थंकर सो हवइ लक्खगुण विधि संजोई साइणि डाइणि भूत प्रेत वेयाल न पहवइ प्राधि व्याधि ग्रह गरगह पीड ते किमइ न होई कुट्ठ जलोदर रोग सवे नासइ एणइ मंति । मयणासुंदरि तरणी परि नवपद भाण करंति
॥११॥"
छंदों की विविधता की दृष्टि से भी कवि ने अपना चमत्कार स्तोत्र - साहित्य में ही दिखलाया है । प्रथम जिनस्तवन में न केवल विविध छंदों का प्रयोग ही किया गया है अपितु दोहा जैसे संस्कृत और प्राकृत में अज्ञात तथा अप्रसिद्ध छंदों का प्रयोग भी किया गया है । निम्नलिखित दोहे को प्रमाणस्वरूप रखा जा सकता है:
"इय जातु विभत्तिभर तरलिउ किंपि भरणामि । दुक्क सुक्करु निरुत्तमण जेण वियारिहि सामि ||३|| " भावारिवारण स्तोत्र न केवल संस्कृत और दृष्टि से चमत्कारपूर्ण है, अपितु काव्य गुणों की कवि का जो अनुप्रास प्रेम उसके सारे साहित्य में परिमाण में देखा जा सकता है। उदाहरण के लिये निम्नलिखित पद्य देखिये:
वल्लभ भारती ]
प्राकृत के एक साथ प्रयोग किये जाने दृष्टि से भी यह स्तोत्र बहुत समृद्ध है । दिखाई पड़ता है, उसको यहां भी प्रचुर
" निस्संग ! निःसमर ! निःसम ! निःसहाय ! नीराग ! नीरमण ! नीरस ! नीरिरस ! हे वीर ! धोरिमनिवार्सानिरुद्धघोरसंसारचार ! जय जीवसमूहबन्धो !
॥२१॥"
जिनवल्लभ के काव्य में संगीतात्मकता के लिये जो सर्वत्र आग्रह दिखाई पड़ता है वह किसी भी पाठक से छिपा नहीं रह सकता । अन्य काव्यगुणों के साथ-साथ संगीतात्मकता की दृष्टि
लघु अजित शान्ति-स्तव सभवतः यहां पर उदाहरण स्वरूप रखा जा सकता है । अनुनासिक वर्णों की बहुलता तथा विविध वर्णों के अनुप्रास से उत्पन्न होने वाली संगीतात्मकता के लिये निम्नलिखित छंद देखिये :
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निर्वाडियार पत्थवत्तासियाण, जल हिल हरिहरंताण गुत्तिहियाणं । जलियजल राजाला लिंगियाण च झाण, जय लहु संति संतिनाहा जियाण
॥१२॥।”
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