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जैनत्व जागरण.......
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बनाया गया था।
बलगेरिया के Altimir शहर में खुदाई में स्वस्तिक प्रतीक मिला है। Budapest में चौबीसवें तीर्थंकर भगवान महावीर का मंदिर खुदाई में जमीन से निकला है ।
साइबेरिया के व्रात्य क्षत्रियों की विशेषताओं के विषय में लिखा हैसाइबेरिया के व्रात्य बहुत ही दयालु और शान्ति के प्रतीक थे । वे दूसरों का ही नहीं बल्कि पशु एवं वनस्पति के प्रति भी सम्मान रखते थे । ऋणों के पवित्र जगहों पर पशुवध घोर अपराध माना जाता था । वे वन संरक्षक रहे । "Buryats people were always characteresed by disinterested kindness and peacefulness, respect for people, nature and all creature being Nodody even thought of hunting at Sraman sacred sites, Killing of a stepped eagle and a swan was one of grevious sin. The swan 'Khum Shubuun was a main possessed by moral soul which is source of eternal love and worship. Buryats gaurded forest becouse they knew that an abindance of river lake wealth and diversity of animal and vegetal life depends on forest. Even the construction of Buryat foots, was shown an attitude of care towards nature. The toes of Buryat foots were turned up so as to prevent stumbling over the even ground or harming it in any way." मंगोलिया और साइबेरिया के कुछ पहाड़ बहुत ही पवित्र माने गए है जिनमें - BurthanHaldun, Altai, Sayan Mountain प्रमुख है । मंगोलिया की राजधानी उल्टई बाटर चार पवित्र पहाड़ो से धिरा है जिनमें एक सौगिनो हैरहन है । इन चारों पर्वतों की पूजा वहाँ के श्रमण करते हैं । यह क्षेत्र चार तीर्थंकरों की भूमि है अत: इसी संदर्भ में यहाँ खोज करने की आवश्यकता है। यहाँ पर Knots की परम्परा देखने को मिली जो निर्ग्रन्थ परम्परा से जुड़ी हुई है। निर्ग्रन्थ का अर्थ है जिन्होंने अपनी सभी गाँठों को खोल दिया और समस्त अन्तरंग व बहिरंग से मुक्त हो गए ।
मंगोलिया के व्रात्यों की mythology में बैल और घोड़े को बुद्धिमत्ता में प्रखर माना जाता है । तीसरे तीर्थंकर सम्भवनाथ का प्रतीक घोड़ा माना जाता