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________________ जैनत्व जागरण ....... ९२ मूर्ति के सदृश्य बताया है । यह मूर्ति नग्न तथा कायोत्सर्ग मुद्रा में है तथा जटाएं कंधों पर ऐसी है जैसे ऋषभदेव की मूर्तियों पर होती है । • आज टर्की की खुदाई में जो भी अवशेष मिल रहे है वे भी वहाँ जैनधर्म तथा जैन तीर्थंकरों के अस्तित्व को स्वीकार करते हैं । ऋषभदेव को यहाँ पर तेशब कहते है | Bogazkoi में प्राप्त अभी तक का सबसे प्राचीन मंदिर के अवशेष मिले हैं जो समन संस्कृति से संबंधित है । वहाँ से प्राप्त तेशब का Sphinx प्राप्त हुआ है जिसे जर्मन ले गए थे । वे वहाँ पर तीर्थंकरों के अस्तित्व का महत्वपूर्ण प्राचीन प्रमाण है । 1 टर्की में सत्रहवीं शताब्दी तक श्रमण परम्परा कायम थी ठाकुर बुलाकी दास के अनुशीलन में वहाँ पर जैन मुनियों के विचरण का विवरण मिलता है। • प्रसिद्ध वैज्ञानिक डॉ. नरेन्द्र भण्डारी ने टर्की के Ephesus में Artemis के Temple (550 B. C. ) के स्तम्भों पर स्वस्तिक का प्रतीक देखा है । वहाँ पर Artemis को देवी के रूप में पूजा जाता है । तथा Artemis की मान्यता Resef या Teseb की युगलियां बहन के रूप में है । यह ऋषभदेव से भी पता चलती है । Artemis का एक प्राचीन सिक्का मिला है जिसके एक और Artemis का तथा दूसरी ओर Bull बना हुआ है । टर्की की संस्कृति यूनान, सीरिया, बेबीलोन तथा चाइना और रशिया से जुड़ी हुई है । Bull God के रूप में तेशब का अंकन Gobeleki cave के अलावा अन्य कई जगहों में प्राप्त होना साथ ही स्वस्तिक का पाया जाना तीर्थंकरों के अस्तित्व की पुष्ट करता है 1 Jerusalem में सिंह दरवाजा प्राचिन है जिसमें सिंह की मूर्तियों बनी हुई है तथा कमल भी बना हुआ है। तेल अबीब में १५ किलोमीटर उत्तर में Herzliya city हैं वहाँ Sidna Hill पर Sidnnali Temple के उत्तर में प्राचीन बन्दरगाह Rishpon था जिसका वर्णन हमें Assiriyan साहित्य में मिलता है । इसे आज Tel Arshaf कहते हैं । ये Kanaanite God Reshef की स्मृति में बसाया गया था । यूनानियों ने वहाँ ४०० ई. पू. में में कब्जा किया और Reshef को Apollo को रूप में पूजने लगे। तब से इस शहर का नाम Arshaf का पड़ा। सातवीं शताब्दी के बाद अरबों ने इस कब्जा किया और इसका नाम Apollo पड़ा। यूनानी लोग स्वस्तिक को Apollo के साथ जोड़ते हैं । १८०० B.C. में Byblos lebnan में God Reshef की स्मृति में मंदिर ७
SR No.002460
Book TitleJainatva Jagaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhushan Shah
PublisherChandroday Parivar
Publication Year
Total Pages324
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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