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________________ जैनत्व जागरण...... ८९ माउन्ट होर के पास पेट्रा में एक शिलालेख मिला है जिसमें rekem लिखा है जो ऋषभ का अपभ्रंश है बीस साल पहले यह शिलालेख वहाँ पुल बनने के कारण जमीन में दब गया था । पेट्रा का सबसे बड़ा मंदिर जिस देवता को समर्पित है वह और कोई नहीं आदिनाथ ऋषभदेव है । उत्तर पश्चिमी अरेबिया से एक लेख मिला है- An inscription form Beth Fasiel Near Palmyra Pays Tribute to the Jinnaye, The God and Rewarding Gods. वहाँ के इतिहास से ऐसा भी विदित होता है कि अरेबिया में मोहम्मद साहब द्वारा Alat, Manat, Azzah and Habal की मूर्तियाँ नष्ट की गयी थी। Alat शब्द में द की जगह ल का प्रयोग किया गया जो आदिनाथ के लिए था | Manat नेमिनाथ स्वामी, Habbal बाहुबली स्वामी और Azzah शब्द अजितनाथ भगवान के लिए उच्चारित किए जाते थे । मुसलमानों के प्रसिद्ध तीर्थ मक्का के काबा के अन्दर ऋषभदेव की मूर्ति होने का उल्लेख कई लेखकों ने भी किया है। काबा की यह मूर्ति सीरिया से लाई गई थी । ऋषभदेव ने क्षत्रिय जाति की स्थापना की थी । पुराणों के अनुसार क्षत्रियों के पूर्वज ऋषभदेव हैं । ब्राह्मण पुराण २:१४ में पार्थिव श्रेष्ठ ऋषभदेव को सब क्षत्रियों का पूर्वज कहा गया है । महाभारत के शान्ति पर्व में भी लिखा है कि क्षात्र धर्म भगवान आदिनाथ से प्रवृत्त हुआ है । इन्हीं क्षत्रियों को Egpyt में खत्ति या खेता कहते है और हिब्रू भाषा में हिट्टी । यद्यपि सभी तीर्थंकरों की मान्यता चारों दिशाओं में मिलती है लेकिन जो तीर्थंकर जिस दिशा के है उनकी मान्यता वहाँ पर अन्य तीर्थंकरों से ज्यादा है मिलती है । लेकिन प्रथम तीर्थंकर होने के कारण ऋषभदेव की मान्यता सभी दिशाओं में सबसे अधिक रही है । उनकी मान्यता अफ्रीका से लेकर स्पेन तक मिलती है | मेरीग्लाइडिंग ने अपने लेख 'The history and significant of the God Risef' में इस पर प्रकाश डालते हुए लिखा है- 1 The god Reshef (Reshpu, Rashshaf, Reshpa) had his beginings in Syria, and was particularly important in Ugarit. A war and thunder god, his cult spread throughout Canaan and Phoenicia, with links in Mesopotamia, eventually
SR No.002460
Book TitleJainatva Jagaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhushan Shah
PublisherChandroday Parivar
Publication Year
Total Pages324
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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