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________________ जैनत्व जागरण..... आई हैं। आचार्य इन्द्रदिन्न सूरि जी ने बोडेली आदि क्षेत्रों में लाखों परमार क्षत्रिय जैन रुपी आदिवासियों को वर्षों के परिश्रम से पुनः जैन बनाया । साध्वी शुभोदया श्री जी आदि ने ३५-३५ वरष पल्लीवाल क्षेत्रों में सतत् विचरण कर पल्लीवालों को पुनः जैन धर्म में स्थिर किया । आचार्य नररत्न सूरि जी के साध्वी मण्डल ने गुजरात के अनेकों अजैन गांवों में जैन धर्म का बीजांकुरण किया है। दिगम्बर मुनिराज ज्ञानसागर जी भी सराक क्षेत्रों में कार्यरत् हैं एवं बहुत से मंदिरों-पाठशालाओं - जैन भवनों का निर्माण करा रहे हैं । मुनिराज जम्बू विजय जी आदि ने महान् श्रुतोद्धार कर विश्व-विद्वानों में जैनधर्म की पहचान जगाई है । स्थानकवासी श्री जयन्त मुनि जी पेटरबार स्थित होकर अनेकों को जैन बना रहे हैं। वीरायतन की चन्दना माताजी इन पिछड़े क्षेत्रों में सामाजिक कार्य कर रही हैं। स्थानकवासी मुनि ने राजस्थान में अहिंसानगर गांव वसाकर सबको जैन बनाया । शासनरत्न कुमारपाल भाई ! जैन शासन के एक आदर्श श्रावक के रुप में अनेकों जैनों को सम्यक्त्व दान देकर पुनः जैनधर्मी बनाया एवं शासन के प्रत्येक कार्य में अविस्मरणीय अनुमोदनीय योगदान है। जिनशासन की धुरा चतुर्विध संघ है। जैन धर्म का भविष्य उज्ज्वल से उज्ज्वलतम हो, इसी उद्देश्य से चतुर्विध संघ कोआगे बढ़ना है। 'आचार्याः जिनशासनोन्नतिकराः" परम पूज्य आचार्य-गुरु भगवंतों के नेतृत्व में जिनशासन की महती प्रभावना में हम सभी को जुड़ना है, हम सभी को योगदान देना है। प्रत्येक जैन में जैनत्व की जागृति ही हर समस्या का मूलभूत समाधान है।
SR No.002460
Book TitleJainatva Jagaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhushan Shah
PublisherChandroday Parivar
Publication Year
Total Pages324
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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