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जागरण.....
हैं । ये लांछन की परम्परा प्रागैतिहासिक काल से चली आ रही है । विश्व की सभी प्राचीन सभ्यताओं में इन प्रतीकों का अत्यधिक महत्त्व रहा है जो Aegean Isle से अफ्रीका के रेगिस्तान तक फैली थी।
___J.H.Q. vol. 11, pg. 293 में वर्णन है कि A Naked Shraman Acharya went to Greece as his samadhi spot was found marked at Athens. यह मैगस्थनीज द्वारा वणित जैन आचार्य के यूनान जाने के विवरण से मिलता है।
बुखारा में कल्याण मस्जिद है जिसे कल्याण मुनि के शिष्यों ने इस्लाम के पूर्व निर्मित किया था जिसे बाद में मस्जिद में परिवर्तित कर दिया गया। यूनान के तत्त्व ज्ञान पर जैन तत्त्व ज्ञान का स्पष्ट प्रभाव देखा गया है महान् यूनानी दार्शनिक पीरों ने जैन श्रमणों के पास रहकर तत्त्व ज्ञान सीखा । फिर यूनान लौटकर एलिस नगर में एक नयी यूनानी दर्शन पद्धति की स्थापना की जिसके अनुसार वास्तविक ज्ञान की प्राप्ति अन्तःकरण की शुद्धि द्वारा ही सम्भव है। भारत से लौटने के बाद पीरो दिगम्बर रहता था । उसका जीवन इतना सरल और संयमी था कि यूनानी उसे बड़ी भक्ति और श्रद्धा से देखते थे । यूनान में ६०० ई. पू. की प्राप्त दिगम्बर मूर्ति जिसे यूनानी कुरोस या अपोलो देवता की मूर्ति कहते हैं जैन तीर्थंकर ऋषभदेव की मूर्ति के समान है। पाइथागोरस आदि की धार्मिक मान्यतायें एवं आत्मा सम्बन्धी धारणायें यूनानी धर्म पर जैन दर्शन की अमिट छाप है। मथुरा अत्यन्त प्राचीन जैन तीर्थ स्थल था वहाँ से प्राप्त प्राचीन स्तुप तथा मूर्तियाँ इस बात की साक्षी हैं । वहाँ के देव निर्मित स्तूप के विषय में - Museum report में लिखा है - "The Stupa was so ancient that at the time when the inscription was inscribed its original had been forgen on the evidence of its character. The date of the inscription may be referred with certainty to the indo scythian era and is equivalent to A.D. 150: The stupa must therefore have been built several centuries before the begining of the Christian era. प्राचीन धार्मिक केन्द्र के तथा 'ईश्वरीय स्थल' के रूप में मथुरा से प्राचीन ग्रीकवासी भी परिचित थे । To the