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________________ जैनत्व जागरण..... की एक बहुत बड़ी संख्या इथोपिया के वनों में रहती थी और अनेक यूनानी विद्वान् वहीं जाकर उनके दर्शन करते थे और उनसे शिक्षा लेते थे। जिम्बावे के मन्दिरों के अवशेषों के विषय में भी यह कहा जाता है कि ये प्राचीनकाल में भारतीयों द्वारा निर्मित किये गये थे । "There are some who say that it was Indians and not the Arabs, Phoenicians of Africans who built there stone walls and temples. The ruin of which remain one of the mystries of Zimbabwe.” - G. M. Sarah. - 'The people of South Africa' (Pg. 223) ये भारतीय कौन थे ? ये सर्व विदित है कि मूर्ति कला के उत्कृष्ट नमूने जैनियों द्वारा निर्मित किये गये । श्री अष्टापद कैलाश (हाल की खोजों से वहाँ मन्दिर होने के प्रमाण मिले हैं । और जिनका वर्णन सिर्फ जैन साहित्य में ही मिलता है ।) श्रीशिल्पकला के प्रतीक माने जाते है तथा इस बात के द्योतक है कि मूर्तिकला का प्रारम्भ सबसे पूर्व जैनधर्मानुयायिओं द्वारा हुआ था । स्वामी दयानन्द सरस्वती ने भी इसे स्वीकार किया है । ____ भारत में अब तक प्राप्त सिक्कों में लीडिया देश के सोने और चाँदसे मिश्रित श्वेत धातु के सिक्के सबसे प्राचीन है। पंजाब के सिन्धु नदी के पश्चिमी तट पर लीडिया के राजा क्रीसस का सोने का एक सिक्का मिला। इस सिक्के में एक और वृषभ और एक सिंह का मुह बना है दूसरी ओर एक छोटा और एक बड़ा पंचमार्क चिन्ह अंकित है। उक्त सिक्के में अंकित वृषभ और सिंह का सम्बन्ध भगवान ऋषभदेव और भगवान महावीर से है । इसके अतिरिक्त वहाँ से प्राप्त ताँबे के सिक्को में से एक में अश्व का अंकन है जो भगवान संभवनाथ का प्रतीक है, दूसरे में हाथी का अंकन है जो तीर्थंकर अजीतनाथ का चिन्ह है। रैप्सन के Notes on Indian coins and seals में यूनानी राजाओं के सिक्कों का जो विवरण दिया है उससे स्पष्ट होता है कि यूनान के अनेक राजाओं पर जैन धर्म का प्रभाव था । (Journal of Royal Asiastic Society 1900-5). __यह सर्वविदित है कि जैन धर्म के २४ तीर्थंकरो के प्रतीकों की सांस्कृतिक धार्मिक परम्परा के महत्त्व के दर्शन सुदूरवर्ती देशों में मिलते
SR No.002460
Book TitleJainatva Jagaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhushan Shah
PublisherChandroday Parivar
Publication Year
Total Pages324
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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