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________________ जैनत्व जागरण..... २६१ आगे गुफा संख्या ९ जोकि बारह-भुजी गुफा से मिली हुई है। इसमें २४ तीर्थंकरों की मूर्तियाँ बनी हुई हैं जिनमें ८ कायोत्सर्ग मुद्रा में और बाकी पद्मासन में हैं। उदयगिरि पर्वत पर स्थित सबसे महत्वपूर्ण गुफा है- हाथी गुफा । इसी गुफा में प्रथम शताब्दी ईसा पूर्व का एल सम्राट खारवेल का १७ पंक्तियों का ब्राह्मी लिपि में लिखा हुआ शिलालेख है । जैन धर्म से संबंधित यह सबसे प्राचीनतम शिलालेख है। शिलालेख का प्रारंभ अनादिनिधान णमोकार मंत्र से होता है । इसी शिलालेख के माध्यम से हमें सम्राट खारवेल की जीवन गाथा, कलिंग जिन की वापसी आदि का वर्णन मिलता है। यह सबसे प्राचीन शिलालेख है जिसमें इस देश के वास्तविक नाम 'भारतवर्ष' का भी जिक्र है। . क्षेत्र की वर्तमान स्थिति- वर्तमान में क्षेत्र की दशा दयनीय है। लंबे समय से क्षेत्र अतिक्रमण का शिकार है । खंडगिरि पर्वत की सबसे महत्वपूर्ण बारह-भुजी गुफा (गुफा संख्या ८) लगभग १७-१८ सालों से अतिक्रमण का शिकार है । क्षेत्र पर जैनों की संख्या कम है और ब्राह्मण बहुलता में हैं । स्थानीय ब्राह्मणों ने बारह-भुजी गुफा में स्थित प्रतिमाओं को वैष्णव देवी-देवताओं में परिवर्तित कर दिया है । भगवान पार्श्वनाथ की कायोत्सर्ग. मुद्रा की प्रतिमा को वस्त्र पहनाकर वैष्णव देव विष्णु में परिवर्तित कर दिया गया है और उनकी शासन देवी पद्मावती को देवी दुर्गा में । इसी प्रकार अन्य तीर्थंकरों की प्रतिमाओं को विष्णु के अवतार और तीर्थंकर शासन देवियों की प्रतिमाओं को देवी दुर्गा के स्वरूप में पूजा जा रहा है। बारह-भुजी गुफा का स्वरूप भी बदल दिया गया है। गुफा के चारों ओर अवैध निर्माण कराकर एक मंदिर जैसा रूप दिया गया है । बारहभुजी गुफा का नाम भी बदलकर बारह-भुजी माँ दुर्गा कर दिया गया है। जैन यात्रियों से यहाँ दुर्व्यवहार किया जाता है और गुफा में घुसने भी नहीं दिया जाता । यह क्षेत्र भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के अंतर्गत आता
SR No.002460
Book TitleJainatva Jagaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhushan Shah
PublisherChandroday Parivar
Publication Year
Total Pages324
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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