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________________ २६२ जैनत्व जागरण.... है । भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के नियमानुसार किसी भी संरक्षित इमारत के आस-पास बिना भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की इजाजत के किसी भी प्रकार का निर्माण और धार्मिक अनुष्ठान करना वर्जित है । नियम तोड़ने वाले व्यक्ति/संस्था के विरुद्ध सख्त कार्यवाही का प्रावधान है। किंतु सरकार के सभी नियमों की धज्जियाँ उड़ाते हुए ब्राह्मणों ने वहाँ पर अवैध निर्माण भी किया है और नियमित रूप से वहाँ पर पूजा इत्यादि कराते हैं । वैष्णव तीर्थ यात्रियों से दर्शन के नाम पर अवैध वसूली करते हैं। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण से संपर्क करने पर उन्होंने इस बात को स्वीकारा कि ब्राह्मणों द्वारा वहाँ पर अतिक्रमण किया गया है । इस संदर्भ . में जैन सिद्धक्षेत्र भुवनेश्वर द्वारा सन् १९९६ में माननीय उच्च न्यायालय के समक्ष एक जनहित याचिका दायर की गई लेकिन १८ वर्ष के लंबे अंतराल के बावजूद उस पर कोई सुनवाई नहीं हुई । भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण भी इसी बात को कहकर अपना पल्ला झाड़ रहा है कि उच्च न्यायालय के फैसले के बाद वहाँ से अतिक्रमण हटवा लिया जाएगा । किंतु राजनीति की इस कशमकश के बीच अपनी पहचान खोता यह महान् तीर्थ हमारे हाथ से निकलता जा रहा है। जैन तीर्थ यात्रियों का आवागमन पहले से ही इस क्षेत्र में कम है और जो जाते हैं वे जानकारी के अभाव में यह सोचकर कि ये तो वैष्णव मंदिर है उन प्राचीन गुफा की ओर रुख ही नहीं करते और सत्य से अनभिज्ञ रह जाते हैं । जिन यात्रियों को पता भी चलता है कि वहाँ कुछ गुफाएँ अतिक्रमण की शिकार हैं तो वो स्थानीय लोगों की चेतावनी पर कि जैन बंधुओं को वहाँ घुसने नहीं दिया जाता और दुर्व्यवहार किया जाता है, इस भय से वहाँ कदम नहीं रखते । जो एक्का-दुक्का यात्री भूलवश या कौतूहल वश वहाँ प्रवेश कर भी जाता है और सत्य से परिचित हो जाता है तो वह मन में अफसोस मात्र करके या इसको काल का दोष समझकर अपने को संतुष्ट कर लेता है। यह क्षेत्र अपनी पहचान खोता जा रहा है। सम्राट खारवेल की कथा तो इतिहास के पन्नों में पहले से ही कहीं खो गई है और अब उनके द्वारा
SR No.002460
Book TitleJainatva Jagaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhushan Shah
PublisherChandroday Parivar
Publication Year
Total Pages324
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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