SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 128
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ जैनत्व जागरण....... तिलोयपण्यति, रत्नकरण्ड श्रावकाचार, पद्मपुराण, महापुराण, जम्बू स्वामी चरित्र, गौतम स्वामी चरित्र, भद्रबाहुचरित्र, श्रेणिक चरित्र, उत्तर पुराण, हरिवंश पुराण, आराधना कथाकोष, पुण्यास्रवकथाकोषं मुनिसुव्रतकाव्य, धर्मामृत, अणुत्तरोबाई, आचारांग, अंतगडदशांग, भगवती सूत्र, सूत्रकृतांग, उत्तराध्ययन, ज्ञाताधर्म कथांग, और विविध तीर्थकल्प आदि ग्रन्थों में मिलता है । १२६ I श्रेणिक चरित्र में इस नगरका वर्णन करते हुए लिखा है- "यहाँ न अज्ञानी मनुष्य हैं और न शील रहित स्त्रियाँ । निर्धन और दुःखी व्यक्ति ढूँढ़न पर भी नही मिलेगी । यहाँ के पुरुष कुबेर के समान वैभववाले और स्त्रियाँ देवांगनाओं के समान दिव्य है । यहाँ कल्पवृक्ष के समान वैभववाले वृक्ष हैं । स्वर्गों के समान स्वर्णगृह शोभित है । इस नगर में धान्य भी श्रेष्ठ जाति के उत्पन्न होते हैं । यहाँ के नरनारी व्रतशीलों से युक्त हैं । यहाँ कितने ही जीव भव्य उत्तम, मध्यम और जघन्य पात्रों को दान देकर भोगभूमि के पुण्य का अर्जन करते हैं । यहाँ के मनुष्य ज्ञानी और विवेकी हैं। पूजा और दान में निरन्तर तत्पर है । कला, कौशल, शिल्प में यहाँ के व्यक्ति अतुलनीय है । जिन-मंदिर और राजप्रासाद में सर्वत्र जय-जयकी ध्वनि कर्ण - गोचर होती है । " I भगवान महावीर के समय श्रेणिक बिम्बिसार मगध के सम्राट थे । बौद्ध ग्रन्थों के अनुसार राजा श्रेणिक के समय उसका साम्राज्य अनेक तत्त्व चिंतकों का केन्द्र था । I मगध जनपद की आर्थिक समृद्धि का वर्णन पद्म चरित्र, कुवलयमाला, हरिवंश चरित्र, अभयकुमार चरित्र, श्रेणिक चरित्र, चउप्पन महापुरिस चरिअ, वसुदेव हिंडी और त्रिषष्टिशलाकापुरुष आदि ग्रन्थों में मिलता है । ये जनपद व्यापार का केन्द्र स्थल था । यहाँ कस्तूरी, सुगन्धित द्रव्य, गज, अश्व, वस्त्र आदि का व्यापार होता था । कथा कोष में शालिभद्र की कथा में उस समय की भोजन विधि का वर्णन विस्तृत रूप से मिलता है जब राजा श्रेणिक अपनी रानी चेलना के साथ सुभद्रा सेठानी के यहाँ जाते हैं । इसी प्रकार जम्बुस्वामी चरित्र में भी पारंपरिक रीति-रिवाजों का उल्लेख दिया हुआ है ।
SR No.002460
Book TitleJainatva Jagaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhushan Shah
PublisherChandroday Parivar
Publication Year
Total Pages324
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy