SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 127
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ जैनत्व जागरण..... १२५ की भी यात्रा की थी जिसका उल्लेख सन् १५२५ फा. व. ५ जीनपुर में लिखित आवश्यक पुष्पिका व उसी संवत् में लिखित दशवैकालिक वृत्ति की प्रशस्ति में पाया जाता है । जिनप्रभसूरि ने अपनी तीर्थमाला में माहजखत्तिय कुण्डहगामिहि, राजगृहि पावापुर ठामहि लिखा है । कवि हंससोम ने १५६५ में, मुनि पुण्यसागर जी नेसन् १६०९ में, मुनि शील विजयजी ने १७१२ में, एवं मुनि सौभाग्य विजयजी ने सन् १७५० में अपनी तीर्थमाला में मगध के इन तीर्थों की यात्रा के उल्लेख किये है। (भगवान महावीर का जन्म स्थान क्षत्रियकुण्ड-भंवरलाल नाहटा) जैन साहित्य में उल्लेख है कि श्रेणिक राजा आने वाले उपसर्पिणी काल के प्रथम तीर्थंकर होगे । ___बौद्ध ग्रन्थ महावग्न में लिखा है कि गौतम बुद्ध जब राजगृह में आये थे तब वह सुपार्श्व की बस्ती में ठहरे थे । मज्झिम निकाय में भी वर्णन है कि बुद्ध ने कहा था कि एक बार जब वह राजगृह में थे उन्होंने निर्ग्रन्थों को ऋषिगिरि पर्वत पर साधना करते हुए देखा था । मगध में नाग क्षत्रियों की बस्ती थी और गिरि व्रज के बीच में मणिनाग नामक स्थान था जिसे मणियार मठ के नाम से आज भी जाना जाता है। विद्वानों का मानना है कि बिम्बसार ने अपनी राजधानी गिरिव्रज से हटाकर समीप ही राजगृह को राजधानी बनाया और मगध की सीमा का विस्तार किया जिसमें बंग, कलिंग इत्यादि भी शामिल थे। उसकी एक रानी चेलना लिच्छवी जनपद के प्रमुख चेटक की बहन थी और भगवान महावीर की अनुयायी । राजगृह को २०वें तीर्थंकर श्री मुनिसुव्रत स्वामीजी की जन्म नगरी होने का गौरव प्राप्त है। पाच पर्वतों में प्रथम ऋषिगिरि चतुष्कोण है और पूर्व दिशा में दूसरा वैभारगिरि जो त्रिकोणाकार है और दक्षिण दिशा में स्थित है। तीसरा विपुलाचल दक्षिण और पश्चिम दिशा के मध्य में स्थित त्रिकोण है, चौथा बलाहक पर्वत है । पाँचवें पर्वत का नाम पाण्डुक है यह गोलाकार पूर्व दिशा में स्थित है । राजगृह का वर्णन धवलाटीका, जयधवलाटीका,
SR No.002460
Book TitleJainatva Jagaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhushan Shah
PublisherChandroday Parivar
Publication Year
Total Pages324
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy