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________________ १०२ जैनत्व जागरण..... • श्रीलंका में जैन धर्म बहुत प्राचीन काल से है । वहाँ की सबसे लम्बी नदी महावेली गंगा जिस पहाड़ी से निकली है उसे Adams peak कहते हैं। इसी के शिखर पर श्रीपद् मंदिर है, इसके दक्षिण और पूर्व में रत्न पत्थर प्राप्त होते हैं जिनमें Emarald, Rubies and Sapphires प्रमुख है, इसलिए इस क्षेत्र को रत्नद्वीप भी कहते हैं । यहाँ पर सिंहली जाति के लोग रहते हैं । सिंहल नाम से इस पहाड़ी का नाम Saman Takuta (peak of saman) पड़ा । इसकी चोटी पर चढ़ने को स्वर्गारोहण कहा जाता है । इसलिए इसे Mount Rohan भी कहते हैं । कहते हैं यहाँ जो पद-चिन्ह है God Saman के है। ब्राह्मण इसे शिव के चरण कहते हैं। चरणों के पास में जो मंदिर है वह Saman Temple है । यह पहाड़ी देखने में बिलकुल पिरामिड की तरह लगता है। प्राचीन काल में अरबवासी इस क्षेत्र को Dib कहते थे। जिनप्रभसूरि जी ने श्रीलंका में सोलहवें तीर्थंकर श्री शांतिनाथ के महातीर्थ होने का उल्लेख किया • वैदिक साहित्य में कुर्म पुराण का मुनि सुव्रत स्वामी के प्रतीक कुर्म से साम्य मिलता है । ऋग्वेद (२३, २७, ३२) में कुर्म ऋषि के उपदेश संकलित है जिनकों हम तीर्थंकर मुनि सुव्रत स्वामी के रूप में पहचान सकते हैं कुर्म पुराण (४०, २७, ४१) में लिखा है कि विष्णु के कुर्म अवतार के रूप में ऋषभ के वंश में जन्म लिया था तथा उन्होंने पंच महाव्रतों के पालन का उपदेश दिया था । पंच महाव्रत जैन दर्शन के मुख्य व्रत है। कुर्म पुराण में हिंसक बलि का विरोध, शाकाहार एवं दिन में भोजन करने का जो वर्णन मिलता है उससे यही प्रमाणित होता है कि मुनि सुव्रत स्वामी को वैदिक साहित्य में कुर्म अवतार के रूप में शामिल किया गया है । • यजुर्वेद (१-२५) में जैन तीर्थंकर अरिष्टनेमि के सन्दर्भ में वर्णन मिलता है। प्रभास पुराण में लिखा है कि उन्होंने रैवतगिरि गिरनार में निर्वाण प्राप्त किया था। महाभारत (अ १२९ श्लोक ५०-५२) में भी अरिष्टनेमि के विषय में उल्लेख मिलता है । डॉ. राधाकृष्णन ने (Indian Phlosophy Vol. Pg. 287) में लिखा है कि यजुर्वेद में तीन तीर्थंकर का वर्णन है ऋषभ, अजित और अरिष्टनेमि । Dr. G Roth ने अपनी पुस्तक "Historicity of the Tirthankaras" में इस तथ्य पर प्रकाश डालते हुए लिखा है । There are some motifs on the Mohanjodaro seals, are identical with those found in
SR No.002460
Book TitleJainatva Jagaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhushan Shah
PublisherChandroday Parivar
Publication Year
Total Pages324
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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