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________________ जैनत्व जागरण..... १०१ जो Egypt के प्राचीन संस्कृति के अनुरूप है। अतः यह कहा जाता है कि प्राचीन Egypt के लोगों ने वहाँ जाकर अपनी बस्तियाँ स्थापित की थी। Egypt की प्राचीन संस्कृति श्रमण संस्कृति थी तथा श्रमण महापुरुषों को वहाँ पूजा जाता था । वहाँ के पहाड़ों के नाम हमें Grand Canyan की पहाड़ों पर मिलते हैं। वहाँ से हमें प्राचीन ऋषभ की भी मूर्ति मिली है। जिसके विषय में विद्वानों का कहना है कि ये बौद्ध मूर्ति की तरह है। जैन संस्कृति से अनभिज्ञ पश्चिमी पुरातत्त्ववेत्ता इस असमंजस में है किये मूति किस धर्म के लोगों की है । यह देखने में बौद्ध मूर्ति की तरह लगती है। लेकिन बौद्ध काल के पहले की होने के कारण उन लोगों के मन में भ्रान्ति उत्पन्न हो गई । Over a hundred feet from the entrance in a cross hall, several feet long, in which was found the idol or image of the peoples God sitting cross legged The cast of the face is oriental, and a carving shows a skillful hand. The idol most resemble buddha though the scientists are not certain as to what religion worship it represents....... it possible that the worship most resemble the ancient people of libet में चार्ल्स बरंटिलस ने अपनी किताब 'Mysteries from forgotton world' में उत्तरी 'अमेरिका की खोज यात्रा के विषय में लिखा है जिसमें चीनी यात्रियों के मैक्सिकों जाने का वर्णन है । तथा उन्होंने अपने लेखों में वहां की चित्रकाल में कमल और स्वस्तिक आदि प्रतीकों का वर्णन किया है । मैक्सिकों से प्राप्त कायोत्सर्ग दिगम्बर मूर्ति, स्तूप तथा माया और एजटेक सभ्यता के अवशेषों में जो मूर्तियाँ तथा प्रतीक चिन्ह मिले है उसकी सादृश्यता आश्चर्य जनक रूप से जैन तीर्थंकरों की मूर्तियों तथा उनके प्रतीकों से है। इस सन्दर्भ में विशेष खोजकी जानी चाहिए । • नेपाल में हमें नमी और मलि नामक गाँव आज भी दृष्टिगोचर होते है। एक नेपाली विद्वान ऋषिकेश साहा के अनुसार A sage Muni named Ne became the Protector of their land and the founder of its first ruling dynasty नेपाल का अर्थ है Ne द्वारा संरक्षित भूमि । ये Ne नमि का ही प्रतिरूप है। मुनि सुव्रत स्वामी का कैलास में जाने का वर्णन हमें मिलता है । चौदहवीं शताब्दी में श्रीजिनप्रभ सूरि जी ने विविध तीर्थकल्प में श्री शान्तिनाथ भगवान के महातीर्थ का उल्लेख करके उसे श्रीलंका में होना बताया है।
SR No.002460
Book TitleJainatva Jagaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhushan Shah
PublisherChandroday Parivar
Publication Year
Total Pages324
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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