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________________ अजितशान्ति स्तवनम् ॥ . (छाया) . वंशशब्दतंत्रीतालमिलिते त्रिपुष्कराभिरामशब्दमिश्रके कृते च श्रुतिसमानने कृते शुद्धषट्जगीतपादजालघंटिकाभिः उपलक्षिते वलयमेखलाकलापनूपुराभिरामशब्दमिश्रके कृते (सति) हावभावविभमप्रकारकैः अङहारैः नर्तित्वा देवनर्तकीभिः यस्य तौ सुविक्रमौक्रमौ वन्दिती तं त्रिलोकसर्वशान्तिकारकं प्रशान्तसर्वपापदोष उत्तम जिनं शान्तिनामानं एष अहं नमामि । (पदार्थ) (वंस सद्द ) बांसुरी की ध्वनि (तंति ) वीणा और ( ताल ) तालसे (मेलिए) मिलेहुए (तिउक्खर ) आतोद्यवाद्य, दुर्दुरट, और मुरज इन्होंके । मुखके (अभिराम ) मधुर ( सद्द ) शब्द से (नीसए) मिश्रित (कए ) कियेसते (अ) और ( सुई) संगीत शास्त्रोक्त श्रुतियोंका ( समाणणे ) समीकरण कियेसते ( अ ) और ( सुद्ध ) शुद्ध ( सज्ज) षड्जस्वरसे ( गीअ) गीतकेसाथ ( पायजालघंटिआहिं ) पावोंमें किंकिणियाओंसे उपलक्षित और ( वलय ) कंकण ( मेहला ) कंदोरा ( कलाव ) भूषण, और ( नेउर )
SR No.002456
Book TitleStotradi Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKantimuni, Shreedhar Shastri
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages214
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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