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अजितशान्ति स्ववनम् ॥
( छाया )
भक्तिवशागतपिंडितकाभिः देववराप्सरो बहुकाभिः सुरवर रतिगुणपण्डितकाभिः देववधूभिः प्रयतं वा पदयोः प्रणतकस्य जास्यजगदुतमशासनस्य तौ ( ' क्रमौ ) ऋषिगणदेवगणैः स्तुतवन्दितौ ।
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( पदार्थ )
( भक्तिसागय ) भक्तिवशहोकर देवलोकसे आकर ( पिंडिअयाहिं ) मिलीहुईं ( देववर ) नृत्यकला श्रेष्ट देव और ( अच्छरसा ) अपसराओंका ( बहुयाहिं ) समुदायों से ( सुखर ) श्रेष्ट देवताओंकी ( रइ ) प्रीति के उत्पादक ( गुण ) गुणोंमें ( पंडिआहिं ) निपुण ( देवहूहिं ) देवांगनाओंसे ( पयओ) सम्यक् अथवा ( चरणोंमें ) ( पणमिअस्सा ) नमस्कृत ऐसे (जस्स) मोक्षके हेतु ( जग्) जगतमें ( उत्तम ) श्रेष्ट है ( सासणयस्सा ) शासन जिनका ऐसे ( अस्सा ) जिन भगवान के (तो) वे प्रसिद्ध चरण ( रिसिगण ) ऋषिगणों से और ( देवगणेहिं ) देवगणों से ( य ) स्तुति किये गए और ( वंदि ) वंदना किये गए ।