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अजितशाति स्तवनम् ॥
(सोहिअ) सुशोभित हैं ( सोगितडाहिं ) नितंबतट जिन्होंके ( वर ) श्रेष्ट (खिखिणि ) पायोके घूघरे और ( नेउर ) नूपुर ( सत्तिलय ) सुन्दर तिलक ( वलय) कंकण इत्यादि हैं (विभूसजिआहिं ) आभूषण जिन्होंके ( रइकर ) प्रीति उत्पन्नकरनेवाले ( चउर ) चतुरों के ( मणोहर ) मनको आकर्षण करनेवाले ( सुंदर ) रमणीय हैं ( दसणिआहिं ) दर्शन जिन्होंके ।
. (भावार्थ) · मांसल अन्तररहित स्तनोंके भारसे नम्र हैं गात्रलता जिन्होंकी हीरे माणिक और सोनेके प्रशिथिल मेखलाओं से सुशोभित हैं नितंबतट जिन्होंके. सुन्दर पावोंके घूबरे, नूपुर, उत्तमतिलक और कंकण इत्यादि आभूषण हैं जिन्होंके. प्रीति उत्पन्न करनेवाले, चतुर पुरुषों के अन्तःकरण को आकर्षण करनेाले और अत्यन्तरमणीय हैं दर्शन जिन्होंके।
(नाराचकछंदः)
. ॥ नारायओ॥ देवसुंदरी हिं पायवांदआर्हि वदिआ य जस्स ते सुविकमाकमा अप्पणो निडालएहि मंडणोदुणप
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