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अजितशान्ति स्तवनम् ॥
( भावार्थ ) .
असुरकुमार सुपर्णकुमार और भवनवासी देवताओंने आसपास आकर वंदनकिया है जिनको, किन्नरनिकाय और व्यंतरनिकाय के देवताओंने नमस्कार किया है जिनको, सोकोट देवताओंने तथा साधु साध्वी श्रावक श्राविकाओं ने स्तुति की है जिनकी । (विद्युद्विलसितच्छंदः) ॥ विज्जुविलसिअं ॥
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अभयं अहं अयं अरुजं अजिअं अजिअं पयओ पणमे || २१ ||
(छाया)
अभयं अनघं अरतं अरुजं अजितं अजितं पदतः प्रणमामि ( पदतः पादयो आद्यादित्वात्तस् ) । ( पदार्थ )
. ( अभयं ) सप्ताधिभय रहित ( अहं ) पापरहित ( अरयं ) आसक्तिरहित (अरुजं ) रोगरहित (अजितं ) कामक्रोधादि शत्रुओंसे अनभिभूत एसे ( अजितं ) अजितनाथ स्वामी के ( पयओ) चरणोंमें ( पणमे ) नमस्कार करता हूं !