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अजितशान्ति स्तवनम् ॥
हे ध्मातरूप्यपट्टश्रेयःशुद्धस्निग्धधवलंदतपङ्क्ते हे शक्ति कीर्तिमुक्तियुक्तिगुप्ति प्रवर हे दीप्ततेजोवृन्द हे ध्येय हे सर्वलोकभावितप्रभावज्ञये हे शान्ते मे समाधिं प्रदिश । ( पदार्थ )
( देव दाणाद्रि ) देव और दानवोंकें इन्द्रसे (चन्द) द्वादशचंद्रों से ( सूर ) द्वादश सूर्योसे (वंद) चंद्य ( 8 ) रोगरहित (तु) प्रीतिको उत्पन्न करनेवाला ( जिह ) अति प्रख्यात ( परमलड ) अत्यन्त सुंदर हैं ( रूव ) रूपजिनका ( धंत ) देदीप्यमान ( रूप्प ) चान्दिके ( प ) पात्र के समान (सेय ) घन (सुद्ध) निर्मल ( निद्ध ) अरुक्ष ( धवल ) सफेद ( दंतपंति ) दांतों की पंक्ति है जिनकी ( सहित ) सामर्थ्य ( कित्ति ) कीर्ति (मुत्ति ) निर्लोभता ( जुत्ति ) न्याययुक्तवचन ( गुत्ति ) रक्षण इन्होंसे ( पवर ) श्रेष्ट ( दित ) देदीप्यमान ( तेअ ) तेजके ( बंद ) समूह ( अ ) ध्यानकेयोग्य ( सव्व ) सम्पूर्ण (लोअ ) लोगोंसे (भाविअ ) ज्ञात ( प्पभाव ) माहात्म्यसे ( अ ) जाननेलायक ( संति ) हे शान्तिनाथस्वामी ( मे ) मुझे ( समाहिं ) अंतःकरणकी स्वस्थता ( इस ) देओ ।