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अजितशान्ति स्तवनम् ॥ ___१९ (महाचकवट्टि ) भारीचक्रवर्तीके ( भोए ) राज्य का उपभोगकिया ( महप्पभावो ) उत्सवोंसे, आत्माको अनुरंजन करनेवाले ( भयवं) भगवान ( भारहम्मि) भारतक्षेत्रमें (बाहत्तरि) बहात्तर (सहस्स) हजार (पुर) घरोंसे (वर) श्रेष्ट (वरनगर) उत्तम गजपुर ( जिसमेंकरनलगताहो उसे नगर कहना) (निगम) धनिकमहाजनोंके स्थान (जणवय) देशविशेषके (वई) पति (बत्तीसारायवरसहस्स ) वत्तीसहजारश्रेष्ट राजाओं से ( अणुआय) अनुयातहै ( मग्गो) मार्ग जिन्होंका (चउद्दस) चौदह (वररयण) श्रेष्टरत्नोंके (नब) नो (महानिहि) महानिधियों के (चउसठि सहस्स ) चौसटहजार ( पवर) सुंदर (जुबईण ) युवतियोंके (सुंदर) मनोहर (वई) पति (चुलसी) चौरासी (सय ) सो (सहस्स) हजार अर्थात् चोरासीलाख ( हय ) घोडे ( गय ) हाथी (रह ) रथ इन्होंकेस्वामी (छन्नवइकोडि) छन्नुकोट ( गाम ) गावोंके ( सामी ) अधिपति ( आसीत ) होतेहुए।
.. (भावार्थ) प्रथम कुरुदेशमें हस्तिनापुरके राजाथे अनंतर महाचाव के भोगोंका उपभोगकरतेहुए उत्सवोंसे आत्मानु