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अजितशान्ति स्तवनम् ॥
. (छाया) उत्तमनिस्तमसत्र ( सत्व ) धरं आर्जवमार्दवक्षांतिविमुक्तिसमाधिनिधि शान्तिकरं दमोत्तमतीर्थकरं तं जिनोत्तमं शांतिमुनिं प्रणमामि ( सः ) शान्तिमुनिः मम समाधिवरं दिशतु ।
(पदार्थ ) ( उत्तम ) श्रेष्ट ( नित्तम ) कांक्षारहित ( सत्त ) सत्व ( सत्त ) भावयज्ञको (धरं ) धारणकरनेवाले ( अज्जब ) आर्जव मायाभाव ( मद्दव ) मार्द निरहंकारता (खंति ) क्षमा (विमुत्ति) निर्लोभता (समाहि) समाधि इनके (निहि) निधि खजीना ( संतिअरं ) आपत्तियोंके उपशमको देनेवाले (दम) इन्द्रियनिग्रहसे ( उत्तम ) प्रधान (तित्थ) तीर्थ ( यरं ) करनेवाले (तं) उन प्रसिद्ध (जिणुत्तम) सामान्यकेवलियों मेंढेष्ट ऐसे ( संतिमुणिं ) शान्तिमुनिको ( पणमामि ) प्रणामकरताहूं ( संति ) शान्तिनाथस्वामी ( मम ) मुझे (समाहिवर) प्रधान चित्तकी स्वस्थताको (दिउस) देखें।
( भावार्थ) श्रेष्ट तथा कांक्षारहित भावयज्ञको धारणकरनेवाले. मायाभाव निरहंकारता क्षमा निर्लोभता और समाधि इन्होंके