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अजितशान्ति स्तवनम् ॥
(छाया) क्रियाविधिसंचितकर्मकेविशिकरं आणितं च गुणैः निचितं महामुनिसिद्धिगतं एतादृशं अजितस्य शांतिमहामुनेश्व नमस्यनकं सततं मम शांतिकरं निवृतिकारणकञ्च भवतु।
(पदार्थ) ( किरिआ ) कायिवयादि क्रियाओंके (विधि) भेदोंसे ( संचिअ ) इकठे किये हुए ( कम्न ) ज्ञानावरणादिकर्म और ( किलेत ) कषायोंसे (विमुक्खयरं). अत्यंत प्रथक् करनेवाला ( अजितं ) तीर्थातरसंबधी अन्यदेवोंको वन्दनजनित पुण्यसे नजीताजानेवाला (च) और ( गुणेहिं ) सम्यग्दर्शन सम्यग्ज्ञान और चारित्रादिगुणोंसे (निचिअं) व्याप्त ( महामुनि) श्रेष्टमुनियोंकी (सिद्धि) अणिमादि. अष्टसिद्धियोतक (गय) पहुंचाहुआ ऐसा ( अजिअस्स ) अजितनाथस्वामीको ( य ) और ( संतिमहामुगिणोविअ ) शान्तिनाथ महामुनिकोभी (नमसणयं ) नमस्कार ( सभ्यं ) निरंतर (मम) मेरी (संतिकरं ) पीडाकी शान्तिकरनेवाला (च) (निव्वुइ ) मोक्षका ( कारणयं ) प्रसिद्धकारण होओ।