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तंजय स्तोत्र ॥
साथ ( सोलस ) सोलह ( विझादेवी ) अधिष्टायिका विद्यादेवियां ( संघस्स ) चतुर्विघसंघको ( मंगलं ) कल्याण ( विउलं ) बहुत ( दितु) देओ.
(भावार्थ) अच्छुप्तादेवी सहित विख्यात श्रुतदेवताके साथ सोलह अधिष्ठायिका विद्यादेवियां चतुर्विधसंघको अत्यंत कल्याण देओ.
(गाथा) जिणसासणकयरक्खा जक्खाचउवीससासणसुरावि ॥ सुहभावासंतावं तित्थत्ससयापणा संतु ॥ १४ ॥ .... . (छाया)
जिनशासनकृतरक्षाः यक्षाः च शुभभावाः चतर्विशति शासनसुराअपि सदा तीर्थस्य संतापं प्रणाशयन्तु.
(पदार्थ)
(जिणसासण ) जिनशासनमें उप्तन्न हुऐ हुऐ उपद्रव निवारण रूप (कयरक्खा) कीहै रक्षा जिन्होंने ऐसे (जक्खा ) यक्ष और (सुहभावा) शुभहैं भाव जिन्होंके ऐसी (चउवसि) चोवीस ( सासणसुरा ) जिनशासनकी अ